मुंशी प्रेमचंद का घर खंडहर में तब्दील हो गया है,न बिजली है, ना बिजली का मीटर,बिजली के तार उखड़े पड़े हैं,दीवारों पर लटकते बिजली के बोर्ड,पंखे गायब,राष्ट्रीय स्मारक का ऐसा हाल। सरकार के द्वारा उज्जवला योजना घोषित करने के बावजूद आज मुंशी प्रेमचंद का घर अंधेरे एवं विरानी से घिरा हुआ है,मुंशी प्रेमचंद के घर अंधेरा चारों तरफ सांय सांय करने लगा है,हद यह हो गई बिजली बोर्ड के अधिकारी राष्ट्रीय स्मारक का मीटर निकाल कर ले गए । सरकार के द्वारा 2005 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर अपनी किस्मत पर आँसू बहा रहा है।
मुंशी प्रेमचंद का घर जो राष्ट्रीय स्मारक है,उस घर के कमरों में सीलन,आंगन में भरा हुआ पानी कीचड़ एवं काई के कारण गिरते और फिसलते लोग,अजब है, गज़ब है, हमारे अधिकारी एक तरफ उपन्यास सम्राट के घर की दुर्दशा,दूसरी तरफ अरबों रुपया खर्च किया जाता है शौचालयों पर ।
हिंदी साहित्य सम्राट जिनको केवल भारत में ही नहीं पूरे विश्व में पढ़ा जाता है,आज भी उनके लेखों को पढ़ो तो ऐसा लगता है, यह कहानी कल कि नहीं आज की है । मुंशी प्रेमचंद सदा मस्त रहने वाले सादे और सरल जीवन के मालिक थे। धनपत राय श्रीवास्तव मुंशी प्रेमचंद का असली नाम था,जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार,कहानीकार एवं विचारक थे। मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी में हुआ था और स्वर्गवास 8 अक्तूबर 1936 वाराणसी में हुआ था । मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं पर कई फिल्मों का निर्माण हुआ,यह फिल्में है,हीरा मोती,सदगति, शतरंज के खिलाड़ी, मज़दूर, गोदान । जीवनभर वह ज़मीनी मुद्दों एवं आम इंसान की परेशानियों को लेकर लिखते रहे । दिल को छूने वाली रचनाएं, उनके हृदय में दोस्तों के लिए उदार भाव था,उनके हृदय में गरीबों व पीड़ितों के लिए भरपूर सहानुभूति थी। मुंशी प्रेमचंद के जीवन का अधिकांश भाग गांव में ही गुज़ारा। वह आडम्बर और दिखावे से मीलों दूर रहते थे। तमाम महापुरुषों की तरह अपना काम स्वयं करना पसंद करते थे।
सम्राट मुंशी प्रेमचंद के दिल को छूने वाली रचनाएं सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान, कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों, ईदगाह, मंगलसूत्र । ईदगाह प्रेमचंद की उर्दू में लिखी हुई कहानी है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुर्ते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर में सुई-धागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर पर भागा जाता है। ईदगाह की कहानी पढ़ने के बाद बिल्कुल ऐसा लगता है यह सब घटनाएं एक आम इंसान के साथ ईद के समय पर होती है । ज़मीन से जुड़े मुंशी प्रेमचंद की हर कथाओं को पढ़कर बिल्कुल ऐसा लगता है कहीं ना कहीं उनकी कथाओं में हम अपने आप को उनकी कथाओं से जोड़ने की कोशिश करते हैं ।
जब उन्होंने सरकारी सेवा करते हुए कहानी लिखना शुरू किया, तब उन्होंने नवाब राय नाम अपनाया। बहुत से मित्र उन्हें हमेशा नवाब के नाम से ही सम्बोधित करते रहे। उनके पहले कहानी-संग्रह 'सोज़े वतन' ज़ब्त होने के बाद उन्हें नवाब राय नाम छोड़ना पड़ा। इसके बाद का उनका अधिकतर साहित्य प्रेमचंद के नाम से ही प्रकाशित हुआ। प्रेमचंद की पहली साहित्यिक कृति एक अविवाहित मामा से सम्बंधित प्रहसन था। मुंशी प्रेमचंद के मामा को प्रेम एक छोटी जाति की स्त्री से हो गया था। मामा की प्रेम-कथा को नाटक का रूप देकर मंच पर प्रस्तुत किया था । मुंशी प्रेमचंद की पहली रचना उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उनके मामा ने गुस्सा होकर इसकी पांडुलिपि को जला दिया था।
प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद्र का घर आता है, आजकल वाराणसी में ज़ोर शोर से वाराणसी की काया पलटने का कार्य चल रहा है,वाराणसी को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है,पर राष्ट्रीय स्मारक होने के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर अभी भी इंतजार कर रहा है,कब प्रधानमंत्री जी की नज़र, मुंशी प्रेमचंद के मकान पर पड़े और मुंशी प्रेमचंद के घर के दिन पलट जाए ।
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