भाजपा की नहीं क्या यह राहुल लोधी की हार ? जयचंदों की हो पाएगी खोज
Updated on
05-05-2021 04:23 PM
दमोह विधानसभा उपचुनाव के नतीजों की औपचारिक घोषणा से पूर्व ही केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के ट्वीट और भाजपा उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी ने उनकी हार की घोषणा के तत्काल बाद वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया तथा उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया पर भितरघात का नाम लेकर सीधे-सीधे आरोप लगाया है। गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि दमोह में कांग्रेस नहीं जीती है अपितु जयचंदों के कारण भाजपा चुनाव हारी है। जयंत मलैया ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा चुनाव नहीं हारी है अपितु प्रत्याशी चुनाव हारा है। इस सबसे एक बात साफ हो रही है कि भाजपा इस हार को पचा नहीं पा रही है क्योंकि उसने अपने पूरे संसाधन और ताकत झोंक दी थी और उसे अपनी एकतरफा जीत का भरोसा था। प्रदेश के सारे कद्दावर नेता चुनाव प्रचार में शामिल हुए थे और अब राहुल सिंह लोधी की पराजय के बाद जिस प्रकार के आरोप- प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं, उसे क्या भाजपा की अंदरूनी राजनीति में उठने वाले तूफान का संकेत माना जा सकता है? देखने वाली बात यही होगी कि हार की ताजा-ताजा टीस की यह तात्कालिक प्रतिक्रिया है और काफी के प्याले में उठे तूफान की तरह उठ कर शांत हो जाएगी या फिर कुछ लंबे समय तक आंतरिक खींचतान जारी रहेगी।
केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रहलाद सिंह पटेल के ट्वीट के एक शब्द ने सभी को चौंका दिया था। पटेल ने लिखा कि हम जीते नहीं पर सीखे बहुत ? स्वाभाविक तौर पर कई सवाल भी मौजूदा राजनीतिक स्थितियों पर उठने लगे हैं। प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने हार के लिए पार्टी के जयचंदों को जिम्मेदार ठहराया तो स्वाभाविक तौर पर यह अनुमान लगाया जाने लगा कि प्रदेश भाजपा की राजनीति में कोई तूफान आने वाले दिनों में आ सकता है क्या ?
प्रहलाद ने किस पर साधा निशाना
दमोह सीट पर भाजपा की हार सत्रह हजार से अधिक वोटों से हुई है। उपचुनाव में इतने बड़े अंतर की हार भाजपा के दिग्गज नेताओं के लिए चौंकाने वाली है। दमोह लोकसभा सीट से सांसद, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री पटेल हैं। पटेल की राजनीतिक धारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अलग चलती है। दमोह का उप चुनाव पटेल की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ था। चुनाव नतीजों के बाद पटेल द्वारा किए गए ट्वीट में इशारों इशारों में कई राजनीतिक संदेश छुपे हुए होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। पटेल ने नतीजों के बाद लिखा कि दमोह चुनाव परिणाम ने भविष्य की चुनौतियों, षड्यंत्रों और कार्यप्रणाली में सुधार के स्पष्ट संकेत दिए हैं। पटेल के इस ट्वीट से पहले पराजित पार्टी उम्मीदवार राहुल लोधी ने हार का ठीकरा पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया और उनके परिवार के ऊपर फोड दिया। लोधी ने कहा कि मलैया के घर के पोलिंग सेंटर पर भी भाजपा को वोट नहीं मिले और दमोह शहर की जिम्मेदारी उनके बेटे सिद्धार्थ ने ली हुई थी, वहां पर भाजपा की एकतरफा हार हुई है। प्रहलाद सिंह पटेल के ट्वीट से उनकी यह सोच उजागर होती है कि उन्हें कमजोर करने के लिए ही उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी को षड्यंत्र के तहत हराया गया? भविष्य की चुनौती शायद खुद पटेल अपने लिए मान रहे हैं। षड्यंत्र किस स्तर पर किया गया? जयंत मलैया, पार्टी अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव या फिर खुद मुख्यमंत्री चौहान ने हार की स्क्रीप्ट लिखी? वैसे मुख्यमंत्री चौहान की छवि भाजपा को मजबूती प्रदान करने वाले मुख्यमंत्री की है। उनके खाते में कई चुनाव, उपचुनाव जीतने का श्रेय है।
और हार पर क्या सोचते हैं नरोत्तम
प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने पार्टी की हार पर ट्वीट किया कि -"दमोह नहीं हारे हैं हम, छले गए छलछन्दों से इस बार लड़ाई हारे हैं हम,अपने घर के जयचंदों से।" मिश्रा हार के पीछे किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं मान रहे हैं। उनका ट्वीट कई लोगों की ओर इशारा कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि दमोह विधानसभा उपचुनाव की हार के बहाने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने की कोशिश कर रहे हैं देखने वाली बात यही होगी कि क्या इस बहाने शिवराज की घेराबंदी पार्टी के भीतर के उनके विरोधी कर पाएंगे, क्योंकि वह एक चतुर सुजान राजनेता हैं और अभी तक उनकी घेराबंदी करने में कोई सफल नहीं हो पाया है। शिवराज सिंह चौहान नवंबर 2005 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। वर्ष 2018 में पार्टी की पराजय के बाद वे पंद्रह माह मुख्यमंत्री पद से दूर रहे थे। पिछले साल मार्च में कांग्रेस के बाइस विधायकों के पार्टी बदल लेने के कारण भाजपा की राज्य की सत्ता में वापसी हुई। शिवराज को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पंद्रह साल पूरे होने आ रहे हैं। इस दौरान पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मुख्यधारा से बाहर हो गए हैं।
बड़ी हार से कॉडर में नाराजगी
भाजपा की हार पर प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी द्वारा कार्यवाही की मांग पर पूर्व मंत्री जयंत मलैया चुप नहीं रहे। उन्होंने पलटवार किया कि पार्टी ने गलत उम्मीदवार का चयन किया। बड़े अंतर की हार को मलैया सामान्य हार नहीं मानते। उन्होंने कहा कि बड़ी हार किसी नेता के कारण नहीं हो सकती। जयंत मलैया ने कहा है कि उनका बूथ न जिता पाने का राहुल का जो आरोप है तो स्थिति यह है कि राहुल लोधी अपना बूथ भी नहीं जीत पाए और वहां भी हारे तथा शहर व ग्रामीण दोनों इलाके में वह हारे हैं, इतनी बड़ी हार सिर्फ वोटर ही दे सकता है। जाहिर है दमोह उपचुनाव के बहाने मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी लड़ाई तेज होती दिखाई दे रही है। माना यह जा रहा है कि मलैया के बहाने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है। असंतुष्टों का नेतृत्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल करते दिखाई दे रहे हैं।
और अंत में............
दमोह की हार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारा ध्यान कोविड महामारी से निपटने की ओर था। पार्टी में उठे तूफान पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि दमोह में पूरा कॉडर नेतृत्व से नाराज है। 2018 की हार भी कॉडर की नाराजगी के कारण हुई थी। इस बार पहले से ज्यादा ताकत से कार्यकर्ताओं ने अपना संदेश नेतृत्व को दिया है। कार्यकर्ता राहुल सिंह लोधी को पार्टी में लेने का विरोध कर रहा था। लोधी का पार्टी में प्रवेश प्रहलाद सिंह पटेल के प्रयासों का नतीजा है। पटेल हार का जवाब देने के उत्सुक भी नजर आ रहे हैं। पार्टी उम्मीदवार जब काउंटिंग में लगातार पिछड़ रहे थे तब उन्होंने ट्वीट कर कहा हम जीते नहीं पर सीखे बहुत। अगले ट्वीट की आखिरी लाइन में उन्होंने लिखा-विद्वेष रहित कार्यप्रणाली से इनका समाधान खोजेंगे।
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