एक यक्ष प्रश्न जनमानस में चर्चा के विषय बना हआ है, क्या मोदी युग समाप्ति की ओर अग्रसर है?
वैसे तो संघ अपनी स्थापना के समय से ही, अविवादित रूप से स्व:स्फूर्त राष्ट्रवादी शक्तियों का केंद्र बिंदु बना हुआ है। ये बात अलग है कि, उसके विरोधी विशेषकर वामपंथ, नरमपंथ और धर्मनिरपेक्ष पंथ यह मानने को कभी तैयार नहीं हुए, क्योंकि ये सभी विरोधी विचारधाराएं तत्समय शासक वर्ग कांग्रेस द्वारा पोषित रहीं, और सत्ता प्राप्ति के परोक्ष साधन के रूप में उपयोग भी किया। कालांतर में इन सब विचारधाराओं का समावेश कांग्रेस में हुआ ही नहीं, बल्कि कांग्रेस इन विचारधाराओं की वाहक ही बन गई, और कांग्रेस ने अपनी राजनैतिक बिसात के लिए इनका नकारे जाने के बाद भरपूर दोहन किया। देश की वर्तमान राजनैतिक परिस्थितियों में तो कांग्रेस वामपंथ की राह चल पड़ी है।
ठीक इसके उलट, संघ अपनी सनातन संस्कृति आधारित राष्ट्रवादी विचारधारा के माध्यम से देश में सामाजिक वातावरण को सर्वसमावेशी बनाने में अपना सर्वस्व अर्पण कर रहा है। देश में व्याप्त वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में अपनी विचारधारा में परिवर्तन कर धर्मनिरपेक्षता की और बढ़ती दिखाई दे रहा है, जो उचित भी है। किंतु उसकी विचारधारा के अनुसरण करने वालों के लिए, ये आश्चर्यचकित करने वाला है। हालिया, संघ प्रमुख का देश की जनता को "हर मस्जिद में शिवलिंग न खोजने" वाला दिया गया संदेश, पूरे विश्व को चकित करने वाला रहा। निश्चित ही, देश की आसन्न सामाजिक परिवेश में, ये बहुत सोचा समझा विमर्श है।
ये भी तय है कि, मोदी युग में पूरी दुनिया में भारत का राष्ट्रीय गौरव नई ऊंचाइयों को पा चुका है। कोरोना काल में मोदी सरकार की नीतियों ने पूरे विश्व में अभूतपूर्व मान प्राप्त किया है। नए भारत की कूटनीतिक सफलता के सामने युक्रेन-रूस युद्ध में भी अमेरिका, सारा यूरोप, यहां तक की चीन भी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने को मजबूर है। वहीं विश्व के खाद्यान्न संकट और सौर ऊर्जा के मामले में भारत ने आगे बड़कर विश्व समुदाय को भरपूर सहयोग का प्रस्ताव दिया है। भारत ने श्रीलंका को वहां के आपातकाल में निःस्वार्थ आवश्यक तेल, खाद्य पदार्थो, दवा आदि की आपूर्ति कर "वसुदेव कुटुम्बकम" के ध्येय मान्यता की प्रतिबद्धता दर्शाई।
नए भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों, कूटनीतिक उपायों से पूरे विश्व में अपना महत्व सिद्ध किया है। यहां तक कि, ओआइसी संगठन ने उसका सदस्य देश न होने के बाद भी भारत को अपनी बैठक में आमंत्रित किया, जो तेल की दुनिया में भारत के बढ़ते दबदबे का प्रमाण है। अमूमन यही स्थिति विश्व के कई संगठनों में है, नए भारत की बात को सुना ही नहीं जा रहा, अपितु उसे प्राथमिकता भी दी जा रही है, निश्चित ही इसका श्रेय मोदी और उसकी टीम को है।
देश में जीडीपी में जबरदस्त उछाल है, अर्थव्यवस्था बेहतर है, महामारी नियंत्रित है, भ्रष्टाचार का मामला नहीं है, देश नए भारत में बदलता साफ दिख रहा है। देश रिकार्ड समय में सबसे लंबी सड़क बना रहा है। रक्षा, संचार, आधारभूत निर्माण, विज्ञान, आईटी, पर्यावरण व आतंकवाद के लिए नित नए विमर्श विश्व को उपलब्ध करा रहा है। विश्व समुदाय नए भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए समर्थन दे रहा है। युद्धरत देश भारत को अपनी सर्वश्रेष्ठ रक्षा प्रणाली करा रहा है, जो वैश्विक आश्चर्य का कारण है। देश में आम जन, किसान, महिलाओं के बहुमुखी विकास की विभिन्न योजनाएं पूरी सफलता के साथ क्रियान्वित हो रही हैं। देश शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य, रोजगार, आवास, पानी, संचार, परिवहन आदि की मूलभूत सुविधाओं के क्षेत्र में सक्षम हो रहा है।
नए भारत के निर्माण को कुछ देश में रहने वाले विदेश शत्रु परस्त तत्व पचा नहीं पा रहे हैं। वे अपने षड्यंत्रों के माध्यम से देश को विश्व में नीचा दिखाना चाहते हैं। वे कतर, कुवैत, ईरान, बहरीन, मिस्त्र और पाकिस्तान देशों के पाखंड और ढकोसलों को दुनिया में लगातार परोसते रहते हैं।आप ध्यान दें, नुपुर शर्मा के विवाद को तीन दिन तक किसी ने संज्ञान नहीं लिया। तब कतर राष्ट्र से उपकृत मीडिया चैनल अलजजीरा ने हैशटैग के साथ नुपुर के बयान को जारी किया। इसे देश विदेश के भारत विरोधी तत्वों ने टूलकिट के रूप में फैला दिया। परिणाम स्वरूप गए शुक्रवार को नमाज के बाद देश के करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में अचानक ही साम्रदायिक हिंसा भड़क उठी। कई राज्यों में हिंसा तीसरे दिन भी जारी रही। कुछ राज्यों में सरकारें हिंसा के नियंत्रण का ढोंग रचती रहीं, तो कहीं केंद्र सरकार के माथे ठीकरा फोड़ा जा रहा है। केवल उत्तरप्रदेश सरकार ने हिंसा को रोकने और दंगाइयों पर सख्त कार्यवाही की।
देश के जनमानस ने देखा किंतु अब जाकर समझा कि, शाहीन बाग, किसान आंदोलन, लालकिला कांड, हिजाब कांड, दिल्ली दंगा, कानपुर दंगा को देशतोड़क तत्वों द्वारा प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया गया, चाहे, बहाने अलग अलग हों। हाल में 14 राज्यों में नमाज के बाद अचानक हुआ, उपद्रव किसी बड़ी देश विरोधी साजिश का स्पष्ट बखान करती है। इन सबके बीच सोशल मीडिया पर आजकल एक मेसेज बहुत ज्यादा वायरल हो रहा है, कि इस तरह देश में अराजकता फैलाने वाले तत्वों को सभी शासकीय सुविधाओं जैसे मुफ्त राशन, इलाज, रहवास, मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए, साथ ही आवास, सब्सिडी वाले बैंक ऋण की तत्काल वसूली करनी चाहिए। कदाचित, सरकार को ये करने के लिए मजबूर भी होना पढ़े। इस उपद्रव के कई कारण हो सकते हैं, पर सामान्य विश्लेषण से प्रमुख कारण यही निकल कर आता है कि, छद्म धर्म निरपेक्ष, नरमपन्थ, वामपंथ, विपक्षी विगत आठ सालों में मोदी को किसी भी मामले में न घेर पाने से व्यथित होकर, अब देश की सामाजिक स्थिति बिगाड़कर असहिष्णुता, धार्मिक कट्टरता के कटघरे में लाना चाहते हैं। मोदी युग की कल्पनातीत सफलताओं से कुंठित, व्यथित विपक्षी राजनीति, अपने पुन: स्थापन की बौखलाहट में देश में अराजकता फैलाकर मोदी युग की समाप्ति के प्रयास में एकजुट दिखाई देते हैं। क्या होगा? कैसे होगा? इस प्रश्न का उत्तर देश के भविष्य की राजनीति तय करेगी। पर ये तय है, देश का शांति, समानता पसंद जनमानस योगी युग की दस्तक सुन और सुना रहा है। मोदी सर्वकालिक महान हो चुके हैं, सन 2000 से गुजरात और 2014 से 2022 या यूं कहें, 2024 तक का समय विश्व इतिहास में मोदी युग के रूप में सम्मान से जाना जाएगा।
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