जीआरपी व आरपीएफ के जवान देर रात मौके पर पहुंचे। जीआरपी ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। काशन आर्डर के कारण मालगाड़ी की गति 12 किमी प्रतिघंटा थी। यदि ट्रेन की गति अधिक होती, तो छड़ें नजर नहीं आती और हादसा होने की आशंका थी। तकनीकी अधिकारियों के अनुसार लोहे की दो छड़ें कुछ दूरी पर ट्रैक पर थीं।
पहली छड़ यदि ट्रेन के पहिए से कट भी जाती, तो ट्रेन को झटका लगता और तब तक दूसरी छड़ पहिए के नीचे आ जाती। ऐसे में ट्रेन के डिरेल होने की पूरी संभावना थी। इस घटना की जानकारी मिलते ही पूरे दिन झांसी मंडल से प्रयागराज मुख्यालय तक हलचल मची रही, क्योंकि इससे पहले भी उत्तर मध्य रेलवे के अंतर्गत विभिन्न स्टेशनों के आसपास ट्रेन पलटाने का षड्यंत्र रचा जा चुका है।