प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी सरकार के फैसलों को अमल में लाने को लेकर कितनी गंभीर है, इसका ताजा मामला देवास जिले के कालूखेड़ी औद्योगिक क्षेत्र के रूप में सामने आया है। राज्य सरकार ने 12 साल पहले लिए गए एक फैसले में इस गांव को औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया था, लेकिन इतने सालों में यहां कोई सुविधा विकसित नहीं की जा सकी।
अब सरकार ने इस गांव में 47.46 एकड़ जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र का प्रस्ताव रद्द कर दिया है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पिछले सात महीनों से क्षेत्रीय उद्योग सम्मेलन का आयोजन कर छोटे-बड़े उद्योगों को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग द्वारा उज्जैन संभाग के देवास जिले के कालूखेड़ी को औद्योगिक क्षेत्र बनाने का आदेश 17 जनवरी 2012 को जारी किया गया था। इस आदेश में इस गांव की 19.01 हेक्टेयर (47.46 एकड़) जमीन पर एमएसएमई उद्योगों के लिए व्यवस्था करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए थे।
हालांकि, कालूखेड़ी को औद्योगिक क्षेत्र घोषित किए जाने के बावजूद भूमि का विकास नहीं किया गया, और न ही औद्योगिक क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य किए गए। इसके कारण उद्योगों के लिए जमीन आवंटित नहीं हो सकी। इसे देखते हुए एमएसएमई विभाग के उप सचिव ने कालूखेड़ी को औद्योगिक क्षेत्र बनाने की अधिसूचना को डिनोटिफाई कर दिया है।
सीएम कर रहे रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पिछले सात महीनों से रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के माध्यम से रोजगार और निवेश बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। जहां लैंडबैंक नहीं है, वहां सीएम के निर्देश पर लैंडबैंक बनाने की कार्रवाई भी की जा रही है।
उज्जैन में इसी के तहत तेजी से भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। 1 और 2 मार्च को उज्जैन में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित करने के बाद, सीएम यादव 20 जुलाई को जबलपुर और फिर 20 अगस्त को ग्वालियर, वहीं 26 सितंबर को सागर में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव कर चुके हैं। इसी तरह, 23 अक्टूबर को रीवा में भी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हो चुका हैं।
उज्जैन में 1170 एकड़ जमीन का अधिग्रहण
उधर, उज्जैन संभाग में उज्जैन-देवास मार्ग पर उज्जैन से लगभग 14 किमी और देवास से 18 किमी दूरी पर उद्योगपुरी का विकास हो रहा है, जिसके लिए अलग से जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। नरवर गांव के पास बने औद्योगिक क्षेत्र में पहले से 458 हेक्टेयर जमीन है, और अब इसके आस-पास के गांवों में इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट के लिए भूमि अधिग्रहित की जा रही है।
कॉन्क्लेव के बाद 200 एकड़ जमीन की डिमांड
अधिकारियों के अनुसार, विक्रम उद्योगपुरी सात गांवों में फैला हुआ है। उज्जैन में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद यहां 200 एकड़ जमीन की मांग 31 उद्योगपतियों ने की है। औद्योगिक निवेश की संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यहां की 473 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण शुरू किया है और नोटिफिकेशन जारी होने के बाद 60 दिनों के भीतर यह अधिग्रहण पूरा कर लिया जाएगा।