भारतीय महिला हॉकी टीम की पहली महिला कोच जेनेक शोपमैन ने खुलासा किया कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
भारतीय महिला टीम के कोच के रूप में अपने अनुभवों के बारे में इंडियन एक्सप्रेस से शोपमैन बात करते हुए, पिछले दो सालों में मुझे बहुत अकेलापन महसूस हुआ। भारत महिलाओं के लिए बहुत मुश्किल देश है। मैं उस संस्कृति से आती हूं जहां महिलाओं का सम्मान किया जाता है और उन्हें महत्व दिया जाता है। मुझे यहां ऐसा महसूस नहीं होता।
रविवार को FIH प्रो लीग में अमेरिका के खिलाफ मैच के बाद, शोपमैन ने भारत में खेल में जेंडर से जुड़ी असमानता पर बात की। उन्होंने एक महिला के रूप में अपनी भूमिका में आने वाली दिन-प्रतिदिन की मुश्किलों पर अपनी निराशा व्यक्त की।
विमेंस और मेंस टीम के साथ अलग व्यवहार होता है- शोपमैन
शोपमैन ने कहा कि,मैं इस अंतर को देखती हूं कि मेरे और मेंस कोच के साथ अलग व्यवहार किया जाता है। यहां तक की मेंस टीम और विमेंस टीम को भी अलग ट्रीटमेंट मिलता है। विमेंस प्लेयर्स कभी शिकायत नहीं करती, वे बहुत मेहनत करती है।
2020 में भारतीय टीम में शामिल हुई शोपमैन
जेनेक शोपमैन 2020 में भारतीय टीम मे बतौर एनालिटिकल कोच शामिल हुई थी। टोक्यो ओलिंपिक्स के बाद वे टीम की हेड कोच बन गई। शॉपमैन की कोचिंग में भारतीय महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला।
हेड कोच बनने के बाद, शोपमैन ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में टीम को ब्रॉन्ज जिताया। वहीं, एशियन गेम्स 2022 में ब्रॉन्ज, एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में गोल्ड और मस्कट में 2022 एशिया कप में एक और ब्रॉन्ज दिलाया।
ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं होने पर बढ़ा विरोध
जनवरी 2024 में रांची में हुए FIH ओलिंपिक क्वालीफायर्स में शोपमैन की कोचिंग में भारत को हार मिली, जिस कारण टीम आगामी पेरीस ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी। इसके बाद से उनके हेड कोच रहने का विरोध बढ़ गया। हालांकि, हॉकी इंडिया ने उन्हें लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। शोपमैन का कॉन्ट्रैक्ट जून-जुलाई में एक्सपायर हो रहा है।