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मध्यस्थता की तैयारी में भारत, रूस यात्रा पर यूं नहीं जा रहे हैं पीएम मोदी के 'बॉन्ड' अजित डोभाल

Updated on 08-09-2024 11:30 AM
नई दिल्लीः यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष दो साल बाद भी खत्म नहीं हो पाया है। यूक्रेन में तबाही मचाने के बाद भी रूस चुप नहीं बैठा है। दुनिया के कई देश चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच जारी यह तनातनी समाप्त होनी चाहिए। भारत भी इस शांति का पक्षधर है और पीएम मोदी की हालिया कोशिशें भी यही बयां कर रही हैं। अब भारत सरकार ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करने के उद्देश्य से अपने सबसे भरोसेमंद सिपाही को भेजने का निर्णय लिया है। यह शख्स और कोई नहीं बल्कि जेम्स बॉन्ड के नाम से मशहूर एनएसए अजित डोभाल हैं। वह इस सप्ताह रूस जा रहे हैं। बता दें इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो महीनों में रूस और यूक्रेन दोनों की यात्रा की थी। मोदी ने इस दौरान दोनों शीर्ष नेताओं व्लादिमीर पुतिन और वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात भी की थी।

डोभाल को भेजने पर कैसे बनी बात?

यूक्रेन की अपनी यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ अपनी बैठक के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री ने 27 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बात की थी। रूसी दूतावास के एक बयान में कहा गया है कि फोन कॉल के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को कीव की अपनी हालिया यात्रा के बारे में सूचित किया और राजनीतिक और राजनयिक माध्यमों से यूक्रेन के साथ सबकुछ ठीक करने पर जोर दिया था।

सूत्रों के अनुसार, इस फोन कॉल के दौरान दोनो नेताओं ने फैसला किया था कि एनएसए डोभाल शांति वार्ता के लिए मास्को की यात्रा करेंगे। इस यात्रा के कार्यक्रम के बारे में वर्तमान में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है। रूसी दूतावास ने फोन कॉल के बारे में कहा कि व्लादिमीर पुतिन ने कीव अधिकारियों और उनके पश्चिमी संरक्षकों की विनाशकारी नीतियों के बारे में अपने सैद्धांतिक मूल्यांकन को साझा किया, और इस संघर्ष को हल करने के लिए रूस के दृष्टिकोण को भी साझा किया था।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन की अपनी हालिया यात्रा के बारे में जानकारी साझा की। उन्होंने संघर्ष के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के बीच संवाद और कूटनीति के साथ-साथ ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव के महत्व को रेखांकित किया था।

पुतिन ने भी लिया था भारत का नाम

पिछले महीने प्रधानमंत्री यूक्रेन में थे और वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मिले थे। बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की थी। मोदी और जेलेंस्की के मुलाकात की वो तस्वीरें भी सबने देखी थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत कभी तटस्थ नहीं रहा, हम हमेशा शांति के पक्ष में रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन संघर्ष को लेकर रूस के संपर्क में रहने वाले तीन देशों में भारत का नाम लिया है। पुतिन ने कहा था कि हम अपने मित्रों और भागीदारों का सम्मान करते हैं, जो मेरा मानना है कि ईमानदारी से इस संघर्ष से जुड़े सभी मुद्दों को हल करना चाहते हैं। इसमें मुख्य रूप से चीन, ब्राजील और भारत हैं। पुतिन ने आगे कहा कि मैं इस मुद्दे पर अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क में हूं।

कई देशों को भारत पर भरोसा

अन्य विश्व नेताओं का भी मानना है कि भारत यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कल यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि संघर्ष को हल करने में चीन और भारत की भूमिका है। जो नहीं होना चाहिए वह यह सोचना है कि यूक्रेन को उसके भाग्य पर छोड़ कर संघर्ष का समाधान किया जा सकता है। रूस-यूक्रेन संघर्ष ने दुनिया को तेजी से विभाजित कर दिया है और अधिकांश वैश्विक शक्तियों ने यूक्रेन का पक्ष लिया है। हालांकि, भारत ने लगातार शांति का आह्वान किया, प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि "यह युद्ध का युग नहीं है"।

मोदी की जादू वाली झप्पी

जब प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में रूस की यात्रा की और राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाया, तब राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक रूसी मिसाइल हमले का उल्लेख किया था। उसमें 37 लोग मारे गए थे, जिनमें से तीन बच्चे थे। उन्होंने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को मास्को में दुनिया के सबसे बड़े खूनी अपराधी को गले लगाते हुए देखना शांति के प्रयासों को बड़ा झटका है। यूक्रेन की अपनी हालिया यात्रा पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को गले लगाया और यूक्रेन के नेता ने कहा कि उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने उन बच्चों की स्मृति का सम्मान किया है जिनके जीवन रूस की आक्रामकता के चलते ले लिए गए थे। उन्होंने कहा कि हर देश के बच्चे सुरक्षित रहने के हकदार हैं। हमें इसे संभव बनाना चाहिए।

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