जिन शहरों की सीमा बढ़ती जा रही आबादी भी बढ़ती जा रही और पानी की खपत अधिक मात्रा में होने लगी। ऐसे इलाकों में पानी के सोत्र बढ़ना चाहिए। जिन शहरों के निकट कोई बहती नदी नहीं है वे सभी शहर बरसाती पानी पर निर्भित है अतः यह विचारणीय विषय है कि हम बरसाती पानी को ज्यादा से ज्यादा इकट्ठा कर उसे जमीन मे उतारे। जमाना था जब शहर में कुए, बावड़ी पानी के मुख्य स्त्रोत थे, आज वे सूख चुके हैं और जल स्तर 400 - 500 फिट नीचे जा चुका। हमारे यहा बरसात भी अच्छी होती है पर हम बरसाती पानी का संग्रह नहीं कर पाते, वह बह जाता है। शहर में कई छोटे बड़े तालाब बनाना चाहिए, शहरी सीमा से लगी हुई लो-लेवल भूमियो पर अधिक से अधिक वाटर रिचार्जिंग लगाना चाहिए इन्हे बरसाती पानी कलेक्शन सेंटर बनाये जिससे बरसाती पानी अधिक मात्रा में जमीन में इकट्ठा होगा। शहरी कालोनियों के बगीचो मे भी हैं एक हिस्सा लो-लेवल रखे ताकि वह वाटर रिचार्जिंग का काम करे। शहरों में अमूमन जब सड़क निर्माण करते हैं तो जमीन से ऊंची हाइट पर बनाते हैं और बगीचे का भी सड़क के लेवल तक भराव कर देते हैं जो की गलत है। सड़क का पानी भी बगीचों के मार्फत जमीन में नहीं उतर पाता यहां हमारी वाटर कलेक्शन इंजीनियरिंग फेल हो जाती है क्योंकि जब तक हम बरसात के पानी को इकट्ठा नहीं करेंगे शहर में पानी का अभाव बना रहेगा। अशोक मेहता, (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने
विचार है)
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