भारतीय डाक के सामने बहुत-सी चुनौतियां हैं। उसके बजट का 91 फीसदी हिस्सा वेतन और पेंशन पर खर्च होता है। वहीं डाक विभाग का रेवेन्यू आज के दौर में चुनौती भरा काम है। 2015-16 में इसका रेवेन्यू 12939.79 करोड रुपये और खर्च18946.97 करोड़ रुपये था। 2020-21 में कोरोना संकट के कारण रेवेन्यू घटकर 10632.31 करोड़ हुआ जबकि खर्च बढ़कर 28,327 हो गया। 2018-19 के बाद रेवेन्यू के मामले में इसके सामने काफी गंभीर चुनौती दिख रही है। डाक भवनों के लिए कई जगह प्लॉट खाली हैं। वहीं सालाना 106 करोड़रुपयेसे ज्यादा किराया डाक विभाग दे रहा है। भविष्य में भारतीय डाक अपनी सर्विस बढ़ाने के साथ जो उम्मीदे बांधे हुए है, उसके लिए अभी बहुत रकम के निवेश के साथ श्रम शक्ति बढ़ाने की दरकार है।