मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को छुट्टी के दिन मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर जो अहम् फैसला लिया है उसके अनुसार अब मध्यप्रदेश में अहातों में जाम नहीं छलकेंगे। इसी दिन उन्होंने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों से प्रदेश में चल रही सरकार की विकास योजनाओं में अपनी सक्रियता बढ़ाने और मैदान में नजर आने की नसीहत दी।
इशारों-इशारों में उन्होंने यह भी जता दिया कि कौन-कौन मंत्री सक्रिय हैं और कौन अभी तक मैदान में नजर नहीं आया है। भाजपा नेता और प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लगातार प्रदेश में शराब की बिक्री कम करने और पीने की आदत छुड़ाने के लिए सामाजिक जागरुकता अभियान छेड़े हुए हैं और उनके कंधे पर बंदूक रखकर ही विपक्षी दल कांग्रेस भी शिवराज सरकार पर निशाना साध रहा था। सरकार ने जो नई शाराब नीति बनाई है उसमें अब अहातों में जाम नहीं छलकेंगे और अहाते तथा शाप बार बंद हो जायेंगे लेकिन शराब दुकान से खरीदी जा सकेगी और जाम छलकाने के शौकीन किसी अन्य स्थान की तलाश कर अपना गम कम करते नजर आयेंगे। नई नीति के अनुसार 2611 अहाते और शाप बार बंद हो जायेंगे तथा 10 प्रतिशत फीस में पुरानी दुकानें रिन्यू हो जायेंगी। इनमें 31 बार शाप और 1580 अहाते शामिल हैं। स्कूल, कालेज, धर्म स्थलों से शराब दुकानों की दूरी दोगुनी कर दी गयी है, पहले 50 मीटर का प्रावधान था जिसे बढ़ाकर 100 मीटर कर दिया गया है। जिन दुकानों का विरोध होगा उन्हें सर्वे कराकर बंद कराने का ऐलान भी कर दिया जायेगा।
मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णयों की विस्तार से जानकारी गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दी। उन्होंने बताया कि दुकान में बैठकर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी और जो शराब पीकर वाहन चलाता पकड़ा जायेगा उसका ड्रायविंग लायसेंस निलंबित कर दिया जायेगा। शाप बार वह जगह होती है जहां अहाते स्थायी रुप से दुकानों में समाहित हो गए हैं। शिवराज ने अपना यह मंतव्य भी जाहिर कर दिया है कि मध्यप्रदेश में शराब पीने से लोगों को हतोत्साहित भी करेंगे। मंत्रिमंडल की बैठक में आबकारी नीति पर कोई मंत्री ऐसी राय न दे दे जो मीडिया की सुर्खी बन जाये इसलिए शिवराज ने पौध-रोपण के बाद मुख्यमंत्री निवास पर मंत्रियों को दोपहर में ही नीति की जानकारी दे दी। उन्होंने कहा कि बाकी राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में इस मामले में आदर्श स्थिति है। उत्तर प्रदेश में शराब से 36 हजार करोड़ रुपये की आय होती है जबकि मध्यप्रदेश में इससे बारह-तेरह हजार करोड़ रुपये का ही राजस्व जुटता है। 2008 से कोई नई शराब दुकान भी नहीं खोली गई है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मध्यप्रदेश में शराब बंद भी करते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि बिहार में शराबबंदी के बावजूद भी सब मिल रहा है। अब यह जरुर ध्यान रखें की दुकानों के अलावा कहीं भी या गांवों में शराब न बिके।
हेरिटेज वाली शराब पर छूट
महुए वाली हेरीटेज शराब पर 7 साल तक एक्साइज ड्यूटी और एक साल तक वेट भी नहीं देना होगा। अभी फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अलीराजपुर में हेरीटेज शराब बनाई जा रही है। जहां तक सुरा प्रेमियों का सवाल है सबसे अधिक इसके प्रेमी उत्तरप्रदेश में हैं जबकि मध्यप्रदेश इस मामले में छठवें नम्बर पर है। शराब से कमाई के मामले में मध्यप्रदेश सातवें पर नम्बर है जबकि पहले स्थान पर उत्तरप्रदेश, दूसरे पर तेलंगाना और तीसरे पर आंध्रप्रदेश है। लेकिन दुकानों के मामले में मध्यप्रदेश ने इस मामले में थोड़ी छलांग लगाई है और वह पांचवें स्थान पर आ गया है जबकि हर मामले में उत्तरप्रदेश अव्वल है। सुरा प्रेमियों और दुकानों के मामले में महाराष्ट्र दूसरे पायदान पर जबकि राजस्व के मामले में वह चौथी पायदान पर है।
और यही भी
रविवार के दिन ही शिवराज ने अपने निवास पर मंत्रियों के साथ बैठक कर प्रदेश भर में निकाली जा रही विकास यात्राओं की समीक्षा की और सभी मंत्रियों को जमीन से जुड़कर काम करने का सुझाव दिया। इस दौरान उन्होंने मंत्रियों को कार्यशैलीमें सुधार करने पर भी जोर दिया और कहा कि जनता से सीधे जुड़कर जमीनी स्तर पर काम करें, जनता व कार्यकर्ता के बीच संवादहीनता न रहे, विकास यात्रा के दौरान जनता के बीच से आ रही समस्याओं को चिन्हित कर यथासंभव उनका समाधान भी करायें। अब यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि शराब बंदी का सामाजिक जागरुकता अभियान और मंत्रियों को मैदान में रहने दी है उस सलाह का कितना असर पड़ता है और कितना बदलाव नजर आता है।
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