चुनावों में राजनीतिक,पार्टियों का झंडा निशुल्क। राष्ट्रीय पर्व पर राष्ट्रीय,ध्वज सहाशुल्क ।।
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12-08-2022 12:39 AM
भारत को आजाद हुए 75 वर्ष गुजर गए हैं,पर शायद विदेशी सभ्यता हमारे दिलों पर हावी है, 15 अगस्त और 26 जनवरी को अचानक हमारे लहू में देश प्रेम हिचकोले खाने लगता है,इस दिन चारों तरफ देश भक्ति के गानों से पूरा शहर गूंजने लगता है,ऐसा लगता है,मानो हमारे देश का हर नागरिक देश प्रेम में डूबा हुआ है। केवल 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज उठाने और भारत माता के जयकारा लगाने से हम सच्चे देशभक्त नहीं कहला सकते, 13 अगस्त से 15 अगस्त तक आजादी का जश्न मनाया जाएगा हर घर झंडा,घर-घर झंडा,यह झंडा बाजार में 20 रुपए में उपलब्ध है,वही यही झंडा डाकघरों में 25 रुपए में दिया जा रहा है,अभी कुछ दिन पहले ही मध्यप्रदेश में नगर निकायों के चुनाव संपन्न हुए,हर राजनीतिक पार्टियों ने घर घर जाकर अपनी पार्टी के झंडे लगाए पर अफ़सोस राष्ट्रीय ध्वज बाजारों में बेचा जा रहा है,अगर राजनीतिक पार्टियां हर घर में निशुल्क राष्ट्रीय ध्वज बांटती तो इन पार्टियों पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगते,सत्ता के लिए पार्टी का ध्वज निशुल्क और देश के जश्न के लिए राष्ट्रीय ध्वज शुल्क के साथ । वही बात करें हम पैसे वालों और आम नागरिकों की हम लोग फिर से विदेशी कंपनियों और उसके सामानों के गुलाम हो गए हैं, हमारे दिन की शुरुआत विदेशी सामानों से होती है,सुबह उठते ही विदेशी टूथपेस्ट से होती है,हम बड़ी शान से क्लोजअप या कोलगेट टूथपेस्ट इस्तेमाल करते हैं,शायद आपको मालूम होगा कोलगेट पामोलिव कंपनी अमेरिका की है,हमारा स्वदेशी टूथपेस्ट विकको वजरदन्ति, बैद्यनाथ,हार गया इन विदेशी टूथपेस्टो से,हमने हमारे दांत विदेशी टूथपेस्ट से साफ कर लिए अब बारी आती है हमारे शरीर को साफ करने की यानी स्नान करने की फिर से विदेशी साबुन हावी है हम स्नान करते हैं पीयर्स,डव साबुनो से डव एक अमेरिकी ब्रांड है,जिसका स्वामित्व ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय उपभोक्ता सामान कंपनी यूनिलीवर के पास है। फिर हार गए हमारे स्वदेशी साबुन, अगर कोई व्यक्ति स्वदेशी साबुन जैसे मैसूर संदल,संतूर खरीदता है,तो लोग कहते हैं,कम पढ़ा लिखा है या गरीब है इसलिए ऐसे साबुन इस्तेमाल कर रहा है, स्नान करने के बाद बारी आती है विदेशी परफ्यूम्स अजमल,ब्लैक आर्किड लगाने की,शरीर पर विदेशी लिवाइस जींस आंखों पर रेबन का चश्मा,कलाई पर राडो, रोलेक्स की घड़ियां,जेब में एप्पल कंपनी का मोबाइल ,नाश्ते में नेस्कैफे की कॉफ़ी, और मैकडोनाल्ड का बर्गर,दोपहर के भोजन में केएफसी का चिकन मांसाहारीयों के लिए,और पनीर टिक्का शाकाहारीयों के लिए । गाड़ियां भी इस्तेमाल होती है टोयोटा और होंडा । अब आप ही बताएं क्या हम ज़हनी तौर पर आज़ाद हो गए हैं या अभी भी हम विदेशी कंपनियों के गुलाम हैं ।स्वदेश शब्द में ही स्वदेशी का अर्थ छुपा हुआ है मतलब अपने देश का सामान अथवा अपने देश में निर्मित वस्तुएं खरीदें। जैसे कि आप जानते हैं भारत में बहुत बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगी हुई है जहां पर बड़े पैमाने पर बहुत सारे प्रोडक्ट बनाए जाते हैं वे सभी प्रोडक्ट हमारे स्वदेशी प्रोडक्ट कहलाते हैं। यदि भारत का प्रत्येक नागरिक स्वदेशी वस्तुओं का ही इस्तेमाल करें तो भारत देश को बहुत ज्यादा फायदे प्राप्त हो सकते हैं,भारत में बनी वस्तुओं के इस्तेमाल से भारत में कमाया गया पैसा भारत में ही सामान खरीदने में लगाया जा सकता है जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्वदेशी बनें, स्वदेशी चुनें देश को आगे बढ़ाना है,गांव को बचाना है,रोजगार बढ़ाना है, विदेशी सामानों का बहिष्कार करें,शान से राष्ट्रीय ध्वज फहराना है। आप सबको 75 वें स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं । मोहम्मद जावेद खान, लेखक, संपादक, भोपाल मेट्रो न्यूज़ ( ये लेखक के अपने विचार है)
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