फुलेरा दूज फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है फुलेरा शब्द फूल शब्द से निकला है। इस दिन लोग फूलों के साथ होली खेलते हैं। राधे-कृष्ण की मूर्ति को सुगंध ,अबीर और गुलाल भी चढ़ाया जाता है। इस दिन से होली के रंगों की शुरुआत हो जाती है।
फाल्गुन महीना अत्यंत शुभ माना गया है और फुलेरा दूज को फाल्गुन का सबसे अच्छा दिन माना गया है। फुलेरा दूज का हर क्षण हर पल शुभ होता है इसलिए इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त नहीं देखा जाता और कर लिया जाता है। फुलेरा दूज को अबूझ मुहूर्त भी माना गया है और यह पूर्ण रूप से दोषमुक्त दिन है। इसी वजह से इस दिन सबसे ज़्यादा शादियां होती हैं और अगर कोई अपना नया व्यापार शुरू करना चाहता है तो इस माह में इससे बेहतर दिन नहीं मिल सकता।
रंग बिरंगे खिलते हुए फूल, खेतों में सरसों के पीले फूलों की मन को लुभाने वाली अजब सुंदरता, मयूर का नृत्य, भंवरों की गुनगुनाहट, तितलियों का हर फूल पर अपना हक यह सब लेकर आता है बसंत और बसंत के बाद आती है हर एक दिल को रंग और उमंग से भर देने वाली होलीऔर फुलेरा दूज का त्यौहार बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन में मनाया जाता है। इसे फूलों का त्योहार भी कहते हैं।
मथुरा वृंदावन में फुलेरा दूज का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान जो किया जाता है वह भगवान कृष्ण के साथ रंग-बिरंगे फूलों से होली खेलने का होता है. ब्रज क्षेत्र में, इस विशेष दिन पर, देवता के सम्मान में भव्य उत्सव होते हैं. मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक सजाये गए और रंगीन मंडप में रखा जाता है. रंगीन कपड़े का एक छोटा टुकड़ा भगवान कृष्ण की मूर्ति की कमर पर लगाया जाता है, जिसका प्रतीक है कि वह होली खेलने के लिए तैयार हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राधा कृष्ण से जो मांगा जाए वह मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
राधा कृष्ण कथा
पौराणिक कथा के अनुसार व्यस्तता के चलते कृष्ण कई दिनों से राधा से मिलने वृंदावन नहीं आ रहे थे। राधा के दुखी होने पर उनके सहेलियां भी कृष्ण से रूठ गई थीं। राधा के उदास रहने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और पुष्प मुरझा गए। वनों की स्थिति देखकर कृष्ण को कारण पता चल गया और वह राधा से मिलने वृंदावन पहुंच गए। श्रीकृष्ण के आने से राधा खुश हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। कृष्ण ने एक खिल रहे पुष्प को तोड़ लिया और राधा को छेड़ने के लिए उनपर फेंक दिया। राधा ने भी ऐसा ही किया. यह देख वहां मौजूद ग्वाले और गोपिकाएं भी एक दूसरे पर फूल बरसाने लगीं। तब से आज भी प्रतिवर्ष मथुरा में फूलों की होली खेली जाती है।
गुलरियां बनाना
गुलरियां गोबर से बनाई जाती हैं। इन्हें बनाने का कार्य फुलेरा दूज से ही शुरू कर दिया जाता है। इसमें महिलाएं गोबर के छोटे-छोटे गोले बनाकर उसमें उंगली से बीच में सुराख बना देती हैं। सूख जाने के बाद इन गुलरियों की पांच सात मालाएं बना ली जाती हैं और होलिका दहन के दिन इन गुलरियों को होली की अग्नि में चढ़ा दिया जाता है।
फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण के लिए स्पेशल भोग तैयार किया जाता है। जिसमें पोहा और अन्य विशेष व्यजंन शामिल हैं। भोजन पहले देवता को अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में वितरित किया जाता है। इस दिन किए जाने वाले दो प्राथमिक अनुष्ठान समाज में रसिया और संध्या आरती हैं।
व्रत विधि -
1. प्रात:काल उठ कर सबसे पहले स्नान करें।
2. पूरा शृंगार करे और रंगीन कपड़े पहने।
3. वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करनी है तो पीले वस्त्र पहनें।
4. प्रेम के लिए पूजा करनी है तो गुलाबी वस्त्र पहनें।
5. अबीर या गुलाल की रंगोली बनायें।
6. राधा कृष्ण का बेहद सुंदर तरीके से फूलों के साथ शृंगार करें।
7. राधा कृष्ण को अबीर और गुलाल अर्पित करें।
8. सफेद मिठाई पंचामृत और मिश्री का भोग लगाएं, क्योंकि इस दिन कृष्ण जी को मीठे पकवान का ही भोग लगाया जाता है ,भगवान की आरती करेंऔर भगवान को प्रसाद चढ़ाने के बाद भक्तों में बांट दें।
9. पूजा करने के पश्चात सात्विक भोजन ग्रहण करें।
10. ‘मधुराष्टक’ या ‘राधा कृपा कटाक्ष’ का पाठ करें,अगर पाठ करना कठिन हो तो केवल ‘राधेकृष्ण’ का जाप कर सकते हैं।
11. शृंगार की वस्तुओं का दान करें।
फुलेरा दूज का त्यौहार भगवान श्री कृष्ण का अपने भक्तों के प्रति स्नेह और प्यार का प्रतीक है। कृष्ण भक्त भजन गाते हुए पूरा दिन बिताते हैं और समृद्धि , खुशियों से भरा जीवन प्राप्त करने के लिए भगवान राधे कृष्ण आशीर्वाद मांगते हैं। प्रेम संबंधों और वैवाहिक जीवन को अच्छा बनाने के लिए और अगर आपकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो तो फुलेरा दूज के दिन राधा कृष्ण की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए, ऐसा करने से आपके जीवन में आ रही सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी और भगवान श्री कृष्ण की कृपा से प्रेम और खुशियों का आगमन होगा।
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन द्वितीया तिथि का आरंभ 14 मार्च को शाम 05 बजकर 05 मिनट से होगा और इसका समापन 15 मार्च को शाम 06 बजकर 45 मिनट पर होगा।
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