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माफिया को कुचलना है तो दफन करना होगा अपवित्र गठजोड़

Updated on 22-01-2021 02:01 PM
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कल मंगलवार को कलेक्टर-एसपी, कमिश्‍नर-आईजी की कॉन्फ्रेंस में एक लाइन का स्पष्ट निर्देश दिया है कि शराब माफिया को पूरी तरह से कुचलना है। इससे पहले भी अपराधियों और विभिन्न माफियाओं के खिलाफ तीखे तेवर मुख्यमंत्री दिखा चुके हैं। प्रदेश में आलम यह है कि जहां  हाथ डालो वहां पर घपला घोटाला सामने आ रहा है। चाहे राशन घोटाला, मिलावट कर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले  माफिया हों या रेत  और उत्खनन या सहकारी समितियों का माफिया हो उन सबका सफाया करने के बुलंद मंसूबे शिवराज के हैं। यदि वह माफियाओं को कुचलना चाहते हैं तो फिर मैदानी स्तर व जिला स्तर पर प्रशासन, पुलिस, आबकारी अधिकारियों तथा इससे जुड़े अन्य विभागों का  अमला राजनेताओं और माफियाओं का जो अपवित्र गठजोड़ बन चुका है उस काकस   की जड़ों पर प्रहार करना होगा। 
    पिछले लगभग ढाई दशकों से शनै: शनै: ऐसा गठजोड़ बनना चालू हुआ था और वह अब काफी मजबूत हो गया है तथा उसकी जड़ें गहरी हो गई हैं। हफ्ते, पखवाड़े या एक माह के अभियान से यह खत्म होने वाला नहीं है इसके लिए निरंतर अभियान चलाना होगा तथा शासकीय स्रोतों के इतर भी सूचना तंत्र विकसित करना होगा। इस प्रकार के जो गोरखधंधे होते हैं वह तभी खत्म होना संभव है जबकि इस प्रकार का अवैध गठजोड़ को स्थानीय स्तर पर रसूख रखने वाले राजनेताओं की संरक्षक की भूमिका समाप्त हो। किसी एक दल के लोग इसमें है यह कहना भी उचित नहीं होगा बल्कि कमोबेश हर राजनीतिक दल के नेताओं से माफिया अपने तार जोड़ कर रखते हैं। सरकार बदलती है तो कुछ नए चेहरे जुड़ जाते हैं या फिर पहले जो चेहरे जुड़े रहते हैं वह परिदृश्य से निकलकर सामने आ जाते हैं। यही मकसद होता है की सत्ता भले ही बदल जाए लेकिन उनका धंधा चलता रहे। अनेक जिलों में यह देखने में आया है कि कांग्रेस और भाजपा के नेताओं की इसमें भागीदारी है। भले ही राजनीतिक रिश्ते ना बन पाए लेकिन आर्थिक हित आपस में जुड़ गए हैं जो एक दूसरे के आर्थिक हितों का ध्यान रखते हैं। इसलिए यदि माफिया मुक्त प्रदेश बनाना है तो फिर लगातार जैसा अभियान इन दिनों चल रहा है वैसा अभियान चलाने की जरूरत है। माफिया के खिलाफ अभियान की शुरुआत 15 वर्ष बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ने की थी लेकिन अभियान चलाने के बाद उन्हें कुछ ही माह मिले और सरकार गिर गई। लेकिन अपनी चौथी पारी में शिवराज सिंह चौहान काफी बदले बदले हैं और हर उस जगह प्रहार करना चाहते हैं जहां गड़बड़ी है या नौकरशाही कर्तव्य निर्वहन में कोताही करती है। 
सरकार चाहे किसी की हो मुख्यमंत्री चाहे कोई हो इस प्रकार माफियाओं का साम्राज्य बदस्तूर चलता रहता है कभी कम तो कभी ज्यादा, लेकिन अब शिवराज इस अभिशाप को मिटाने के लिए कमर कस चुके हैं। शराब माफिया के खिलाफ अभियान बहुत तेजी से चल रहा है क्योंकि हाल ही में मुरैना में जहरीली शराब से 2 दर्जन से अधिक हंसती खेलती जिंदगियां मौत के आगोश में चली गईं। अभियान का आगाज तो अच्छा है पर अंजाम तो तभी अच्छा होगा जबकि इसमें किसी भी स्तर पर ढिलाई ना आ पाए और मुख्यमंत्री ऐसे ही नकेल खींचकर रखे रहें तथा चाहे किसी भी दल का कोई व्यक्ति ऐसे कारोबार में लिप्त पाया जाता है या संरक्षक की भूमिका में होता है तो उस पर भी कार्यवाही हो तभी उद्देश पूरा हो सकेगा जिसको लेकर शुरुआत की गई है। मुरैना की घटना एक अवसर है जहरीली शराब बनाने वाले माफियाओं की कमर तोड़ने का लेकिन इसके लिए प्रदेश के हर जिले, हर कस्बे में सघन तलाशी अभियान चलाने की जरूरत है, अन्यथा इस अभियान के खबरों की सुर्खियां बनकर कुछ समय बाद दम तोड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकेगा।
शिवराज को करनी होगी बड़ी सर्जरी
मुख्यमंत्री चौहान ने कलेक्टर-एसपी, कमिश्‍नर- आईजी कान्फ्रेंस में कहा कि उनका केवल एक लाइन का निर्देश है और वह है अवैध शराब का धंधा पूरी तरह से चौपट होना चाहिए। जड़ों पर हमला करें, कैसे करना है, यह आप बेहतर जानते हैं। जिले के अधिकारी ठान लें तो अवैध शराब कहां बिक रही है, कैसे पता नहीं चलेगा? कलेक्टर, कमिश्‍नर एसपी, आईजी सुन लें आप जाने कैसे क्या करना है?  मुख्यमंत्री ने लाख टके की बात कही है । ऐसा हो ही नहीं सकता की अवैध कारोबार चल रहा हो, जहरीली शराब बिक रही हो तो निचले स्तर के अमले को पता ही ना हो। कलेक्टर और एसपी यदि चौकन्ना हो जाएंगे तो फिर अवैध जहरीली शराब का कारोबार करना आसान नहीं होगा। गफलत वहीं होती है जहां पर अनदेखी की जाती है या आंखें मूंद ली जाती है। यह रोग इतना फल-फूल गया है कि अब होम्योपैथी की मीठी गोली या कड़वी दवा से इसका इलाज संभव नहीं है बल्कि इसके लिए बड़ी सर्जरी की जरूरत है। इसके लिए शिवराज को एक  ऐसे कुशल शल्य चिकित्सक की भूमिका में आना होगा जिसके हाथ सर्जरी करते समय अपने पराए के बीच भेद ना करें और यदि अपनों के चेहरे भो सामने आते हैं तो सर्जरी करते समय हाथ ना कापें । अवैध शराब का कारोबार पनपने का कारण यह भी है की जिलों में शराब के ठेके केंद्रीकृत कर दिए गए हैं और कुछ ठेकेदारों का एकाधिकार हो जाने के कारण शराब काफी ऊंचे दामों पर बिक रही है। इसके लिए एमआरपी का असली खेल है और वह कीमत ज्यादा रखी गई है तथा यही कारण है कि कहीं-कहीं एमआरपी से कम दामों पर शराब बिकती है। इसके लिए सरकार को अपनी आबकारी नीति में भी परिवर्तन की जरूरत है अन्यथा अवैध शराब के धंधे पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाएगा। सस्ती शराब पीने के चक्कर में गांव में लोग ऐसी शराब खरीद रहे हैं और  जगह-जगह सस्ती लेकिन जानलेवा शराब बनने लगी है। इस दिशा में शिवराज ने एक अभियान छेड़ा है वह निश्‍चित तौर पर आगे चलकर अवैध शराब के अभिशाप से प्रदेश को मुक्त कर सकेगा बशर्ते की इसकी दिशा किसी दबाव में भटकने ना पाए।
और अंत में............      
 मुरैना जहरीली शराब कांड के लिए गठित एसआईटी की रिपोर्ट मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को सौंपी जा चुकी है ।एसआईटी के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव गृह डॉ राजेश राजौरा ने कहा है कि पुलिस और  आबकारी  के अमले की बड़ी चूक सामने आई है तथा यदि वह पूरी तरह से अलर्ट होते तो इस घटना को रोका जा सकता था। यदि देखा जाए तो जहां भी अवैध शराब बिकती है वहां संबंधित विभाग के अमले की लापरवाही ही जवाबदार होती है। केवल मुरैना नहीं अपितु हर जिले की कमोबेश ऐसी ही दास्तां है जहां- जहां पर मिलीभगत है वहां पर माफिया सक्रिय है।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक सुबह सवेर 
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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