बार-बार दिन यह आए, बार-बार नेता जनता के पास जाएं।। नेता वादों की झड़ी लगाएं, देश में चुनाव साल के 365 दिन आए । यही आरज़ू है मेरी ।। सिर पर ईमानदारी का मुकुट लगाएं,होठों पर बनावटी मुस्कान लिए,गरीबों के दर्द पर घड़ियाली आँसू बहाते यह बनावटी प्राणी, यह कौन है,कौन है,आप ही बताएं यह कौन है,कौन है,पाँच साल में एक बार आते,मीठी मीठी बातें करके ग़रीबों के नंगे बच्चों को गले लगाते,यह कौन है,यह कौन है । कुछ प्यार,कुछ गुहार,पाँच साल सोते हैं,चुनाव के समय झूठे वादों का बीज बोते हैं,यह कौन है,यह कौन है। चुनाव जीतने के बाद पाँच साल नोट रूपी मलाई का जमकर लुत्फ उठाते हैं,यह कौन है,यह कौन है। जनता के सामने पाँच साल में एक बार आते,मीठी-मीठी बातें करते हैं,और चुनाव जीतने के बाद जनता की परछाई से भी दूर भागते हैं । भाई यह कौन है,यह कौन है । चुनाव जीतने के बाद पुलिस के साए में रहते,मक्खी मच्छर से भी डरते,चुनाव के समय भीड़ में घुस जाते,यह कौन है,यह कौन है। अभी भी आप नहीं समझे,यह हमारे नेता हैं । जिनका मकसद एक है,पाँच साल तक सत्ता सुख पाना,सिर पर पंजे का,साइकिल का,कमल का, हाथी का मुकुट लगाना,चुनाव जीतने के बाद जनता को भूल जाना । इसलिए मेरी आरज़ू है, चुनाव साल के 365 दिन हो, हमारे नेता,हमारे बीच साल के 365 दिन रहे,कितना अच्छा होगा,कितना विकास होगा, क्योंकि चुनाव से पहले ही विकास की गंगा बहने लगती है, और चुनाव के बाद गुम हो जाता है हमारा विकास,भूल जाते हैं नेता अपने वादों को,सो जाते हैं हमारे नेता पाँच साल तक,चुनाव से पहले सड़कें बनने लगती हैं, रोजगार पर बात होती है,नए हाईवे पर विमान उतरने लगते हैं, यमुना नदी की सफाई के वादे किए जाते हैं,महिलाओं को चुनाव में टिकट देने की वकालत की जाती है, ग़रीब बच्चियों को स्कूटी और एंड्रॉयड फोन देने की लालच दी जाती है,कृषि कानून वापस ले लिए जाते हैं,जब चुनाव से पहले इतने अच्छे कामों के वादे होते हैं, तो इसलिए मेरी आरज़ू है,चुनाव साल के 365 दिन हो,चुनाव आते ही महंगाई पर लगाम लग जाता है,पेट्रोल डीजल के दाम स्थिर हो जाते हैं । 2022 में होने वाले पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर सभी पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है,राजनीतिक पार्टियां जनता को अपनी ओर खींचने के लिए मन लुभावन सपने दिखा रही हैं,और तरह-तरह के वादे कर रहे है,अगले वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, पंजाब के चुनाव में राजनीतिक दलों को जाना है,इसके बाद भी कुछ राज्यों के चुनाव होने हैं,जिनमें गुजरात भी शामिल है,साथ ही राजनीतिक दलों की बैठको का दौर शुरू हो गया है,राजनीतिक पार्टियों के प्रचार रथ तैयार हो गए हैं,कुछ पार्टियों ने प्रचार रथ का उपयोग भी शुरू कर दिया है। आज तक एक बात समझ में नहीं आई,जब जब चुनाव आते हैं, कोरोना वायरस डर कर क्यों भाग जाता है,शायद कोरोना वायरस हमारे नेताओं से डरता है,चुनाव के बाद जैसे ही नेता वापस अपने अपने इलाकों में चले जाते हैं उसी के बाद कोरोना वायरस वापस लौट आता है। शहर में सारे नेताओं का डेरा अब लगने लगा है,ज़मीं पर आने लगे हैं ईद के चांद जो हैं हमारे नेता,क्योंकि चुनावी मेला सजने लगा है। इसलिए मैं कहता हूँ साल में 365 दिन चुनाव आए,हमारी गली, हमारी बस्ती,में बार-बार नेता आए, इन नेताओं के आने से गली के गड्ढों को भर दिया जाता है, खंभों पर लाइट लग जाती है, ऐसा लगता है, मेरा पिया घर आया ओ राम जी । जहां से चले थे नेताजी, फिर लौटकर वही आना है। क्योंकि पाँच साल हो गए, फिर जनता को मुंह दिखाना है।।
मोहम्मद जावेद खान,लेखक, संपादक , भोपाल मेट्रो न्यूज़ (ये लेखक के अपने विचार है )
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