बापू हमें तुमसे प्रेम कितना,शब्दों में बयां नहीं कर सकते
Updated on
03-01-2022 06:24 PM
*बापू हमें तुमसे प्रेम कितना,* *शब्दों में बयां नहीं कर सकते*
*तुम्हारे लिए जब कोई गलत*
*बोले तो जलता है दिल*
*भारत कभी भारत*
*नहीं हो सकता*
*बापू तुम्हारे बिना ।*
बापू आपके लिए कुछ लाइनें,जो दर्द मिला अपनों से मिला गैरों से शिकायत क्यों करें,जो ज़ख्म फूलों ने दिए,कांटों से शिकायत क्यों करें। बापू अच्छा हुआ तुम चले गए,अगर तुम गोड़से की गोली से बच जाते,तो इस दौर के भारत को देखकर रह नहीं पाते,आज हमारी आंखों पर धर्म की चर्बी चढ़ गई है,जिस धर्म के लोग उनको उसी धर्म के लोग अच्छे लगने लगे हैं,तुमने जिस जिस चीज़ के लिए महीनों अन्न जल छोड़ा,आज वही चीजें राजनीति के हथियार बन गए हैं, बापू तुम को क्या मिला,हम को आज़ादी दिला कर,तुमने घर छोड़ा,तुमने वस्त्र त्यागे,हमारे लिए तुमने अपनी औलादों को छोड़ा,आज उसका सिला तुम को क्या मिला रहा है,जिसके मुंह में जो आ रहा है,वह तुम्हारे लिए बोल रहे हैं,क्योंकि आज़ादी हम लोगों को विरासत में मिली है, आज़ादी में लहू बहा,लहू का रंग तो लाल था,आज उस बहे लहू पर लोग उंगली उठा रहे हैं,आज हमारी आज़ादी को भी धर्म से जोड़कर राजनीति के धुरंधर अपनी अपनी बिसात बिछाए बैठे हैं । बापू वो दिन गए,जब लोग तुम्हें पसंद किया करते थे,आज तुमसे ज़्यादा जिस कागज़ के टुकड़े पर तुम्हारे फोटो छपा है,जिसे हम नोट कहते हैं,लोग अपने दिल से लगा कर रखते हैं,तुम्हें बुरा बोलने के लिए शायद वही कागज़ जिस पर तुम्हारा चित्र छपा होता है,उसकी लालच में ही आजकल तुम्हारे ऊपर उंगली उठाई जा रही है,बापू आज भ्रष्टाचार का बोलबाला है,अब रिश्वत सृष्टाचार हो गई है,अब रिश्वत सौ,दोसौ नहीं,अब तो लाखों की बात होने लगी है,लोगों के घर से काले धन के अंबार निकल रहे हैं,धार्मिक स्थलों की लड़ाई अदालतों में पहुंचने लगी है,धर्म की लपटें उठने लगी है,इन लपटों पर राजनीति की रोटियां सिकने लगी है,राजनीतिज्ञों रामराज का मतलब ही बदल दिया है,तिलक और टोपी की बहस अब खुलेआम होने लगी है, बापू तेरे देश में तिलक और टोपी की राजनीति इतनी हावी हो गई है,तेरे भारत पर दूसरे देश उंगलियां उठाने लगे हैं,आज तेरे ही देश में तुझ को अपमानित किया जा रहा है,दिल रोता है बापू,किसकी नज़र लग गई बापू, हम किस ओर जा रहे हैं बापू, तुझको फिर से एक बार वापस आना होगा,ना जानें मैं क्यूं सोचता हूं कि,बापू तुझे आना होगा,देश की बिखरी हुई जिंदगीयों को फिर से सजाना होगा। इस बार तेरी लड़ाई फिरंगियों से नहीं,अपने ही देश के मौकापरस्त लोगों से है,ऐसे सुना था इंसान की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है,उसमें परिपक्वता आती है,पर शायद हमारे साथ उल्टा हो रहा है, आज़ादी को मिले 74 साल हो गए हैं,74 साल में हमारी परिपक्वता बड़ी नहीं घटी है, इसलिए आज हम ऐसे मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं,यह मुद्दे कहीं से लेकर कहीं तक परिपक्त नहीं कहे जा सकते। इस दौर की राजनीति में सबसे बड़ा मुद्दा धर्म बन गया है,भ्रष्टाचार,बेरोजगारी जैसे मुद्दे कोसों दूर छूट गए हैं ।
बापू आपने भारत को आज़ादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। आप सत्य और अहिंसा के पुजारी थे। आपने पूर्ण समर्पण और आत्मविश्वास के साथ ब्रिटिश शासन से भारत को आज़ाद कराया और दुनिया को साबित कर दिखाया की स्वतंत्रता अहिंसा के साथ हासिल की जा सकती है। सत्य और अहिंसा आपकी वो ताकत थी,जिसके सामने अंग्रेजों के घुटने टूट गये।
गांधी रूपी आंधी ने गौरों एवं मुट्ठी भर गौरों की खाल ओढ़े तलवें चाटते तथा कथित मौका परास्तो की ताक़ते तूने बांधी थी ।
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