सरकार द्वारा अपने कर्मचारी अधिकारी को नौकरी से रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा पेंशन के रूप में दी जाती है ताकि वे स्वाभिमान से जीवन जी सकें उनके मरनोपरांत उनकी पत्नी को भी आर्थिक सुरक्षा मिले यहां तक सरकार ध्यान रखती है ताकि वे लोग अपनी नौकरी इमानदारी से करे। परन्तु कई सरकारी कर्मचारी अफसर जनता की सेवा के बजाय भ्रष्टाचार में लिप्त होते जा रहे हैं मानो उन्हें जनता को लूटने का लाइसेंस नौकरी के रूप में मिल गया। उनमे स्वयं की कोई मान धर्म इमानदारी बची नहीं। ऐसे लोग रिश्वतखोर बनकर भी उनकी पत्नी, बच्चे और मां-बाप को क्या चेहरा दिखाते हैं। यह तो समाज का सीधापन है जो रिश्वतखोरो को आज भी समाज में रहने दे रहे वरना ऐसे लोगों का समाज से भी बहिष्कार होना चाहिए। भ्रष्टाचारियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है सरकार कैसे सभी पर एक साथ कार्रवाई कर पाएगी यह असंभव दिखता है।
अच्छी तनखा और आर्थिक सुरक्षा के बावजूद सरकारी नौकरशाही कैसे लालची और रिश्वतखोर बन सकते है यहां हमारे धर्म गुरुओं की आवश्यकता है जो उनके अंदर बैठे उनके जमीर को जगाए। कानून में ऐसे प्रावधान हो ताकि इन लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो सके। यहां इस बात का उल्लेख होना भी जरूरी है कि इन रिश्वतखोरो की जांच, निहायत इमानदार व्यक्ति के हाथों हो। जब तक समाज में भ्रष्ट लोगों को हीन भावना से नहीं देखा जाएगा हालत नहीं सुधरेंग।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (यह लेखक के अपने विचार है )
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