भारत ही नहीं पूरे विश्व की आबादी में जेसे जेसे बुजुर्गों की आबादी कम हुई वह परिवार में घरेलू इलाज से दूर होता चला गया। आज भारत युवाओ का देश है और संयुक्त परिवार टूटते जा रहे है इसलिए घरेलू इलाज बहुत कम हो गए और घर घर का मेडिकल बिल बढ़ गया, हर छोटी मोटी बीमारी पर डॉक्टर की फिस, जांचे, और इलाज का खर्च बढ़ गया। अतः जिस तरह महिलाएं और बच्चियां कुकिंग क्लास जाती है उसी तरह अब घरेलू इलाज कि क्लासेस भी शुरू होना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग घर के इलाज से ही ठीक हो और स्वस्थ रहें। उन्हें इन क्लासेस से यह भी ज्ञान मिलेगा कि उन्हें खानपान में क्या सावधानी रखना है। जब व्यक्ति हेल्दी डाइट लेने लगेगे तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी निश्चित रूप से हाई लेवल होगी। बुजुर्ग एवं वैद्य से परामर्श कर घरेलू इलाज की छोटी-छोटी बुकलेट भी छपे एवं उनका सशुल्क या निशुल्क अधिक से अधिक वितरण हो इसमें शासन और सामाजिक संस्थाओं का बड़ा योगदान हो सकता है। होम साइंस विषय के छोटे-छोटे कोर्स वापस शुरू होना चाहिए। प्रायमरी, मिडिल एवं हाई सेकेंडरी एजुकेशन में भी इस विषय को स्थान मिल सकता है। सोशल मीडिया के जरिए घरेलू इलाज पर चर्चाएं हो जससे इसका ज्ञान फैलेगा। जगह-जगह घरेलू इलाज के बारे में भी कोटेशन लिखे हो ताकी व्यक्ति के दिमाग में यह विषय धर कर जाए और वह घरेलू इलाज की ओर मुड़ जाएगा। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने
विचार है)
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