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हिन्दी हमारी आन है, हिन्दी ही हमारी शान है

Updated on 13-09-2022 04:51 PM
हिन्दी की वर्तनी, हिन्दी का व्याकरण, हिन्द की संस्कृति, हिन्दूस्तानियों का आचरण। 14 सितंबर हम भारत वासियों का मातृभाषा सम्मान दिवस है, 1949 में इसी दिन संविधान सभा द्वारा हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। हर क्षेत्र में प्रचारित और प्रसारित कर हिन्दी को व्यापक महत्ता दिलाने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 
“हिन्दी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा” इस गीत को गर्व से गाने वाले इस देश के 100 करोड़ से अधिक नागरिक किसी न किसी रूप में हिन्दी बोलते और समझते हैं। हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है, जिसे हम जैसे सोचते हैं वैसा ही लिखते हैं। अत: हिंदी को मन की भाषा भी कहा जाता है। यह मन के बंद ताले को खोल सकती है। हमारी आत्मा और ज्ञान का पथ बोल सकती है। यह महज एक भाषा नहीं बल्कि समस्त भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरोने वाली शक्ति है।  
जब भारतीय मूल के लोग दूसरे देशों में जाकर बसे तो वो अपने साथ अपनी भाषा और संस्कृति भी ले गए। आज हिन्दी भारत को उन तमाम देशों के साथ जोड़ने में एक सेतु का काम कर रही है। हिन्दी दुनियाभर के भारतीयों को भावनात्मक रूप से एक साथ जोड़ने का काम करती है। विदेश यात्रा के समय हमने हिन्दी में लिखा एक शब्द भी दिखाई पड़ जाये तो एक भारतीय के मन में जो खुशी और गर्व की लहर उमड़ती है उसे शब्दो में समझाना मुश्किल है। स्वतन्त्रता के 75 वर्षों में भारत ने अपने चौमुखी विकास के बलबूते पर एक वैश्विक ताकत के रूप में अपनी पहचान स्थापित की है जिसके फलस्वरूप विश्व-समुदाय, अंतरराष्ट्रीय संबंधों तथा विभिन्न समाजों, समुदायों एवं व्यक्तियों के बीच हिन्दी का प्रचलन और महत्व बढ़ गया है। 
इंटरनेट क्रान्ति के बाद चलन में आए संचार और संवाद के नए सामाजिक माध्यमों, यथा ईमेल, मेसेंजर सेवा,  फेसबुक, व्हाट्सएप,  लघु संदेश (एसएमएस) आदि ने हिन्दी को एक नई ऊर्जा प्रदान की है और वैश्विक पटल पर अपनी नई पहचान बना रही है। यह हिन्दी की बढ़ती शक्ति का प्रमाण है कि आज विश्व की अग्रणी आइटी कंपनियां जैसे गूगल, माईक्रोसोफ्ट, मेटा आदि हिन्दी भाषा में कार्य करने की सुविधा उपलब्ध करवाने को मजबूर हुई है। 
प्राचीन काल से हिन्दी में लिखे वृहद ज्ञान को समझने के लिए आज पूरा विश्व आतुर है और इसी ज्ञान के प्रति बढ़ते आकर्षण के  चलते आज 90 से भी अधिक देशों में विद्यालय या महाविद्यालय जैसे किसी ना किसी स्तर पर हिन्दी पाठ्यक्र्म में शामिल है जिसे छात्र पूरे उत्साह के साथ पढ़ते है। हिंदी की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति को देखते हुए हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी ने अरबी और अंग्रेजी के बाद हिंदी को अपने न्यायालयों में तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल कर लिया है।
वैश्विक पटल पर हिन्दी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार की ओर से हिंन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे और 10 जून 2022 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के हिंदी भाषा के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब संयुक्त राष्ट्र के सभी कामकाज और जरूरी संदेश हिन्दी भाषाओं में भी प्रस्तुत किए जाएंगे। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिन्दी पहले से ही शामिल है।
भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और इन सभी भाषाओं में भारतीय संस्कृति की मिट्टी की खूशबू रची बसी है। बड़ी संख्या में बोली जाने वाली हिंदी भाषा का विकास भी भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हुआ है। जिस तरह यह जरूरी है कि क्षेत्रीय भाषाओं का संरक्षण, संवर्धन और विकास किया जाए उसी तरह राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान करने के लिए इन क्षेत्रीय भाषाओं एवं हिंदी भाषा के बीच एक सेतु बनाने की भी आवश्यकता है। हम वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से इस पृथ्वी पर निवास करते हैं । 
हालांकि हमारा देश विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने की बात करता है। लेकिन फिर भी आज नहीं तो कल देश को किसी एक भारतीय भाषा को पूरे देश की संपर्क या व्यवहार की भाषा के रूप में स्वीकार करना होगा। और इस काम के लिए हिन्दी को एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने के लिए हम सब को मिलकर काम करना होगा। 
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और हिन्दी का सम्मान देश का सम्मान है। जिस तरह हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर हमारे देश और देशवासियों का मान बढ़ाया, उसी तरह हमें भी अपनी मातृभाषा हिन्दी का सम्मान बढ़ाने वाली कार्य योजनाओ को अपना समर्थन और सहयोग लगातार देते रहना चाहिए। 
- राजकुमार जैन स्वतंत्र विचारक

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