नई दिल्ली । पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए भारत के पूर्व नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव के बचाव में वकील की नियुक्ति से संबंधित मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट में 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी। सुनवाई हाईकोर्ट की बड़ी बेंच में होगी, जिसमें चीफ जस्टिस अथर मिनल्लाह, जस्टिस आमिर फारुक और जस्टिस मियां गुल हसन औरंगजेब होंगे। यह सुनावई से वक्त पर होने जा रही है जब इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत की तरफ से इस केस में भारतीय वकील या क्वीन के काउंसिल की मांग को खारिज कर दिया था। सितंबर में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने संघीय सरकार को यह आदेश दिया था कि वे जाधव के लिए वकील नियुक्त करने का भारत को एक और मौका दें। इसके साथ ही, एक महीने के लिए सुनवाई को स्थगित कर दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तान कुलभूषण जाधव केस में पाकिस्तान आईसीजे के फैसलों का पालन नहीं कर रहा है और न ही सभी डॉक्यूमेंट्स और बिना रोक एक्सेस दिया है। उन्होंने कहा कि जाधव को निष्पक्ष ट्रायल के लिए पाकिस्तान ने भारतीय वकील या क्वीन काउंसिल की नियुक्ति का भी समाधान नहीं किया है। गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के मामले में कोई भारतीय वकील या 'क्वींस कांउसल' नियुक्त किए जाने की भारत की मांग खारिज कर दी। पाकिस्तान में मौत की सजा का सामना कर रहे नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की सजा पर पुनर्विचार के लिये स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने को लेकर एक भारतीय वकील या 'क्वींस काउंसल को नियुक्त करने की भारत की ओर से अपील की गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत जाधव की पैरवी के लिए लगातार पाकिस्तान से बाहर का वकील नियुक्त किए जाने की अतार्किक मांग कर रहा है। उन्होंने कहा, हमने भारत को सूचित किया है कि केवल उन वकीलों को पाकिस्तानी अदालतों में उपस्थित होने की अनुमति है जिनके पास पाकिस्तान में वकालत करने का लाइसेंस है। इस परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। उल्लेखनीय है कि क्वींस काउंसल एक ऐसा बैरिस्टर या अधिवक्ता होता है, जिसे लॉर्ड चांसलर की सिफारिश पर ब्रिटिश महारानी के लिये नियुक्त किया जाता है।