पश्चिम बंगाल सरकार ने संदेशखाली केस की जांच को CBI को सौंपे जाने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। सोमवार (29 अप्रैल) को जस्टिस बीआर गंवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई की और इसे जुलाई के लिए लिस्ट कर दिया।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। साथ ही कहा था कि CBI हमारी निगरानी में जांच करेगी और रिपोर्ट सौंपेगी। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 2 मई को तय की थी। इस बीच ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
संदेशखाली की महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं पर कथित रूप से यौन उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जे का आरोप लगाया है। मामले में शाहजहां शेख, शिबू हाजरा और उत्तम सरदार आरोपी हैं। तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
कोर्ट रूम में क्या हुआ...
ममता सरकार की तरफ से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमें 2-3 हफ्ते और दिए जाएं, हम कुछ जानकारी जोड़ना चाहते हैं।
CBI की तरफ से SG तुषार मेहता, ASG एसवी राजू और ऐश्वर्य भाटी ने दलील रखीं। जहां यह कहा कि केस अभी पेंडिंग है, इसलिए इसका कहीं इस्तेमाल न हो।
बेंच ने मामला जुलाई के लिए लिस्ट कर दिया, साथ ही सिंघवी का बयान रिकॉर्ड किया कि याचिका पेंडिंग होने का इस्तेमाल किसी और काम के लिए नहीं होगा।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने महिलाओं के यौन शोषण मामले में FIR दर्ज की
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने संदेशखली में जमीन हड़पने और महिलाओं के खिलाफ अपराध (यौन शोषण) से केस में पहली FIR दर्ज की है। इसमें 5 मुख्य आरोपियों के नाम शामिल हैं। हालांकि ये आरोपी कौन हैं, ये सामने नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि ये प्रभावशाली लोग हैं।
HC के आदेश के बाद ममता सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा सकती
हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य की ममता बनर्जी सरकार CBI जांच पर रोक नहीं लगा सकती है। दरअसल, राज्य से जुड़े किसी भी मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी CBI की इन्क्वायरी के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए CBI को दी गई ‘सामान्य सहमति' वापस ले ली थी। उस समय चिटफंड घोटाले को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
अब समझिए CBI को केस कैसे मिलता है
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत सीबीआई सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में सेक्शन 3 के तहत अपराधों पर खुद से जांच शुरू कर सकती है। राज्यों में जांच शुरू करने से पहले सीबीआई को सेक्शन 6 के तहत राज्य सरकार से इजाजत लेना जरूरी है।