ईश्वर के प्रति श्रद्धा, विश्वास, आस्था रखें, दिखावे पर नहीं जाए
Updated on
13-07-2022 12:38 PM
अकसर मंदिर के बाहर बहुत सारी हार फूल अगरबत्ती नारियल व अन्य पूजन सामग्री की दुकानें लगी होती है, व्यक्ति बड़ी श्रद्धा से कुछ सामग्री लेता है जिसे भगवान की मूर्ति पर चढ़ाने को लालायित रहता है पर उसे यह नहीं मालूम होता है कई जगह कुछ समय बाद इनमें से कुछ सामान वापस बिकने के लिए उन्हीं दुकानों पर आ जाएगा। मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया साईं बाबा एक फकीर थे पूरी जिंदगी ऐसे ही रहे पर आज उनकी मूर्ति पर चांदी के छत्र चढ़ा रहे उन्हें चमकदार कपड़े पहना रहे। हमारे यहां भगवान में भरोसा आस्था, विश्वास, श्रद्धा तो रखते हैं पर उससे ज्यादा विश्वास दिखावा करने मे होता है। मूर्ति पर कुछ न कुछ चढ़ाने को लालायित रहते हैं। हमारे धर्मगुरु यह क्यों नहीं सिखाते कि भगवान पर भरोसा रखे दिखावे पर ना जाये, अपने मन में दृढ़ता रख, भगवान जो करता है अच्छा करता है भगवान कभी किसी का कोई बुरा नहीं करता है। कई बार तो बिना वजह सजावट पर लाखों करोड़ों खर्च करते हैं कहीं नोटों से, कही लड्डू से, कहीं फूलों से यानी जिसके जो समझ में आए वह पैसा खर्च करके अपने आप क्या दिखाना चाहते हैं। बड़े बुजुर्ग यही कहते हैं कि भगवान अपने दिल में होता है भगवान को इधर-उधर ढूंढने की जरूरत नहीं वे आपके आस पास हैं। फिर भी यह दिखावा क्यों, हो सकता है मेरी बात से कुछ असहमत होंगे पर मुझे लगता है कि मंदिर में जाने के बाद दिखावे के बजाय मूर्ति के सामने बैठकर अपने मन की कुछ बात करें शांति अनुभव करें भजन कीर्तन करें और जो संगीतमय वातावरण होता है वह दिल दिमाग को स्वच्छंद विचारों में ले जाता है और यही भगवान से मिलन होता है।
अशोक मेहता,(लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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