हमास ने जंग 8 महीने बाद अपने लड़ाकों को आदेश दे दिए हैं कि अगर इजराइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) उनकी तरफ आगे बढ़े तो कैद में रखे इजराइली बंधकों को सीधा गोली मार दें। अमेरिकी मीडिया हाउस ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ये दावा किया है। नुसीरत कैंप में इजराइल बंधकों को छुड़ाने के लिए चलाए गए ऑपरेशन के बाद यह फैसला लिया गया है।
दरअसल, इजराइल ने 8 जून को हमास की कैद से अपने 4 नागरिकों को रेस्क्यू किया था। इस दौरान 270 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए थे। हमास ने दावा किया था कि हमलों में 3 बंधकों की भी मौत हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और इजराइल के इंटेलिजेंस और मिलिट्री की टीम लगातार ड्रोन्स, सैटेलाइट और दूसरे तरीकों से गाजा में बंधकों को ट्रैक करने की कोशिश कर रही हैं।
इजराइल अब तक अपने 7 बंधकों को रेस्क्यू करने में कामयाब रहा है। दूसरी तरफ, हमास ने अब बंधकों को ऐसी जगहों पर शिफ्ट कर दिया है, जहां उन्हें ढूंढ पाना और मुश्किल होगा। बंधकों की लोकेशन भी लगातार बदली जा रही है, जिससे इजराइली सैनिक उन तक न पहुंच सकें।
सीजफायर पर अमेरिका का प्रस्ताव पास, 3 फेज में जंग रोकने का जिक्र
जंग के लगभग 240 दिन और 37 हजार लोगों की मौत के बाद सोमवार देर रात इजराइल-हमास जंग रोकने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पास हो गया। इस प्रस्ताव को अमेरिका ने पेश किया था। सोमवार को हुई वोटिंग में 15 में से 14 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला, जबकि वीटो पावर रखने वाले रूस ने प्रस्ताव से दूरी बनाई।
पहली बार अमेरिका की तरफ से पेश किए गए सीजफायर प्रपोजल में 3 फेज में जंग खत्म करने की बात कही गई है। पहले फेज में 6 हफ्ते का सीजफायर होगा। इस दौरान हमास की कैद में मौजूद कुछ इजराइली बंधक और इजराइल की जेल में बंद फिलिस्तीनियों की रिहाई की बात की गई है।
इसके बाद दूसरे फेज में जंग को पूरी तरह से रोककर बाकी बंधकों को रिहा किया जाएगा। आखिरी फेज में गाजा पट्टी को फिर से बसाने का जिक्र है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले महीने इस प्रस्ताव की घोषणा की थी। अमेरिका के मुताबिक, इजराइल पहले ही इस प्रस्ताव को स्वीकार कर चुका है।
नेतन्याहू बोले- हमास के खात्मे से पहले जंग नहीं रुकेगी
एकतरफ जहां इजराइल का हिमायती अमेरिका UNSC में सीजफायर के लिए प्रस्ताव पास करवा रहा है, वहीं इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जंग रोकने से इनकार कर दिया है। PM नेतन्याहू ने भी कहा कि बाइडेन ने सीजफायर प्रस्ताव का केवल कुछ हिस्सा ही सार्वजनिक किया है। इजराइल परमानेंट सीजफायर पर तभी बात करेगा जब हमास पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
दूसरी तरफ, हमास ने UNSC में पास हुए प्रस्ताव का स्वागत किया है। वोटिंग के बाद हमास ने कहा कि वह मध्यस्थों के साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इसके अलावा गाजा में सीजफायर के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन इजराइल और मिडिल ईस्ट देशों के दौरे पर हैं।
सोमवार को उन्होंने PM नेतन्याहू से मुलाकात भी की । ब्लिंकन ने इस बात पर जोर दिया कि सीजफायर से इजराइल के सभी बंधक बिना किसी कठिनाई के घर लौट सकेंगे। साथ ही गाजा में मानवीय सहायता भी आसानी से पहुंचाई जा सकेगी।
नेतन्याहू से उनके मंत्री भी नाराज, इस्तीफा दे रहे
इजराइल की नेतन्याहू सरकार को रविवार को बड़ा झटका लगा है। 3 सदस्यों वाली वॉर कैबिनेट के मुख्य सदस्य बेनी गैंट्ज ने इस्तीफा दे दिया। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक गैंट्ज के इस्तीफे की वजह गाजा युद्ध में होस्टेज (युद्ध बंधक) डील को लेकर PM नेतन्याहू का रवैया है।
गैंट्ज़ का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इजराइल बंधकों को छुड़ाने जद्दोजहद में लगा है और पश्चिम एशिया में स्थिति नाजुक बनी हुई है। एक टीवी चैनल पर अपना फैसला सुनाते हुए गैंट्ज ने कहा- नेतन्याहू की वजह से हम हमास का खात्मा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए इमरजेंसी गवर्नमेंट को भारी मन से, लेकिन आत्मविश्वास के साथ छोड़ रहे हैं।
दूसरी ओर, नेतन्याहू ने गैंट्ज से फैसला वापस लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह समय लड़ाई से पीछे हटने का नहीं बल्कि इसमें शामिल होने का है।
अमेरिका ने सीजफायर के प्रस्ताव पर 3 बार वीटो किया, एक बार दूरी बनाई
इससे पहले मार्च में भी मानवीय संकट को आधार बनाकर UNSC में सीजफायर का एक प्रस्ताव पारित किया गया था। प्रस्ताव में गाजा में हमले बंद करने और बिना शर्त के सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की गई थी। इस प्रपोजल के लिए भी 15 में से 14 सदस्यों ने पक्ष में वोटिंग की थी, जबकि अमेरिका ने इससे दूरी बनाई थी।
यह पहली बार था जब अमेरिका ने सीजफायर के प्रस्ताव पर वोट नहीं डाला था। इससे पहले 3 बार वह UNSC में इन प्रस्तावों पर वीटो लगा चुका है। अमेरिका के वोटिंग से दूरी बनाने पर इजराइल ने नाराजगी जताई थी। नेतन्याहू ने तब वॉशिंगटन जा रहे रक्षा मंत्री योव गैलेंट की यात्रा रद्द कर दी थी।
क्या UNSC में प्रस्ताव पारित होने से रुकेगी जंग?
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, UNSC के प्रस्तावों को अंतरराष्ट्रीय कानून माना जाता है। सदस्य देशों के लिए इनका पालन करना जरूरी होता है। हालांकि, इजराइल UNSC का स्थायी या अस्थायी सदस्य नहीं है। ऐसे में वो इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
अगर सुरक्षा परिषद में कोई प्रस्ताव पास हो भी जाए तो यहां इसे लागू कराने का कोई जरिया नहीं है। हां यह जरूर है कि सदस्य देशों की सहमति से इजराइल पर कई प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
इजराइल-हमास जंग रोकने के लिए पहला प्रस्ताव नवंबर 2023 में माल्टा ने पेश किया था। दूसरी बार UAE ने दिसंबर 2023 में और तीसरी बार फरवरी 2024 में नॉर्थ अफ्रीकी देश अल्जीरिया ने प्रस्ताव पेश किया था। अमेरिका ने तीनों बार इसे ठुकरा दिया था।