नई दिल्ली । राज्यों को माल एवं सेवाकर जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केन्द्र के अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटने के विपक्ष के आरोपों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि क्षतिपूर्ति मामले पर जीएसटी परिषद ही विचार कर कोई रास्ता निकालेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस क्षतिपूर्ति को भारत की संचित निधि से पूरा करने का कोई प्रावधान नहीं है। अनुदान मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति भुगतान के मामले में वह अपने पूर्ववर्ती वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा किए गए वादे का सम्मान करेंगी। उन्होंने कहा चाहे हम मौजूदा देवीय संकट में ही क्यों न हों, लेकिन हम राज्यों को किस प्रकार से क्षतिपूर्ति की जाये परिषद में इस पर चर्चा करेंगे परिषद इस पर गौर करेगी कि किस प्रकार राजस्व भरपाई के लिये कर्ज लिया जा सकता है। वित्त मंत्री ने हालांकि, इस कमी को भारत की संचित निधि से भरपाई किये जाने को खारिज किया। उन्होंने कहा कि यह भुगतान क्षतिपूर्ति उपकर कोष से होना चाहिए। सीतारमण के जवाब के बाद लोकसभा ने वर्ष 2020-21 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और संबंधित विनियोग विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके तहत 235852 करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्यय के लिए संसद से मंजूरी मांगी गई। निचने सदन ने इसके साथ ही वर्ष 2016-17 की अतिरिक्त अनुदान की मांगों को भी मंजूरी प्रदान कर दी। सीतारमण ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 537 अरब डॉलर से अधिक का हो गया है जो की 19 माह के आयात के लिये काफी है। एफडीआई भी बढ़ा है जो अर्थव्यवस्था में भरोसे को बताता है। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी को 'दैवीय घटना (एक्ट ऑफ गॉड) कहने संबंधी अपनी टिप्पणी को लेकर की गई आलोचनाओं पर कहा कि व्यंग्य किये गए जबकि सब जानते हैं कि कोरोना वायरस की समस्या से निपटने के लिए कोई इलाज और कोई टीका अभी तक विकसित नहीं हुआ है। जीडीपी में गिरावट संबंधी आलोचना पर सीतारमण ने कहा कि पूरी दुनिया में ऐसे हालात हैं।