सरकार अपने कर्मचारी अधिकारियों के प्रति दिल खोलकर सहानुभूति रखती है सरकार की दरियादिली देखिए अपने कर्मचारी अधिकारियों को अच्छी खासी तनखा देती है जब नौकरी छोड़ते हैं तो बहुत अच्छी ग्रेचूती देती है उनको पीएफ फंड से भी अच्छा पैसा मिलता है और रिटायरमेंट के बाद जिंदगी भर जब तक जिंदा है पेंशन देती है, उनके मृत्यु के बाद उनके पति या पत्नी को भी पेंशन देती है। आज के दौर के बड़े अधिकारियों की तनखा एक दुकानदार से ज्यादा इनकम की होती है और उनसे बड़े अधिकारियों की तनखा एक छोटी फैक्ट्री चलाने वालों से ज्यादा कमाई की होती है। छोटे कर्मचारी की तनख्वाह भी एक सेल्समैन से ज्यादा होती है आप जरा कंपेयर करें जो मजदूर काम पर आते हैं उनकी क्या तनख्वाह होती है, गांव में तो 5000 से ₹10000 ही महावर मिलता है। अनेक कर्मचारी अधिकारी दरियादिली का कोई मोल नहीं रखते वे अपनी नौकरी को वरदान मानते हैं और उसके प्रति वफादारी कम और अन्य कमाई का जरिया बनाने में ज्यादा लगे रहते हैं, जिसे हम रिश्वत कहते हैं सरकार इन लोगों को जन सेवा के लिए नियुक्त करते हैं पर वह जनसेवा कम और स्वयं सेवा चार्ज वसूलने में लगे रहते हैं। काश सरकार दरियादिली के साथ ऐसे लोगों को डंडे की नोक पर भी रखें जो दरियादिली का फायदा उठाते हैं, बात सच्ची है कि सरकार ईमानदार हो तो ही कर्मचारी अधिकारी पर डंडा चला सकती हैं। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने विचार है )
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