व्यक्ति के जीवन में हो रहीं,हर प्रकार की घटनाओं के लिए कुंडली के ग्रहों का बहुत बड़ा योगदान होता है। कुंडली में जिस प्रकार से ग्रहों का प्रभाव होता है उसी प्रकार के परिणाम भी व्यक्ति को प्राप्त होते हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि ज्यादा मेहनत और परिश्रम के बाद भी व्यक्ति को सरकारी नौकरी प्राप्ति में सफलता नहीं मिलती है।
सरकारी नौकरी का निर्धारण व्यक्ति की योग्यता, शिक्षा, अनुभव के साथ-साथ उसकी जन्मकुंडली में बैठे ग्रह योगों के कारण भी होता है।
1 कुंडली में दशम स्थान को (दसवां स्थान) को कार्यक्षेत्र के लिए जाना जाता है। सरकारी नौकरी के योग को देखने के लिए इसी घर का आंकलन किया जाता है। दशम स्थान में अगर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति की दृष्टि पड़ रही होती है तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बन जाता है। कभी-कभी यह भी देखने में आता है कि जातक की कुंडली में दशम में तो यह ग्रह होते हैं लेकिन फिर भी जातक को संघर्ष करना पड़ रहा होता है तो ऐसे में अगर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति पर किसी पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) की दृष्टि पड़ रही होती है तब जातक को सरकारी नौकरी प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
2 अगर जातक का लग्न मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला है तो ऐसे में शनि ग्रह और गुरु(ब्रहस्पति) का एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होना, सरकारी नौकरी के लिए अच्छा योग उत्पन्न करते हैं।
3 केंद्र में अगर चन्द्रमा, ब्रहस्पति एक साथ होते हैं तोउस स्थिति में भी सरकारी नौकरी के लिए अच्छे योग बन जाते हैं। साथ ही साथ इसी तरह चन्द्रमा और मंगल भी अगर केन्द्रस्थ हैं तो सरकारी नौकरी की संभावनायें बढ़ जाती हैं।