वैसे देखा जाए तो यह इंसान की जिंदगी में ग्लैमर का कोई महत्व नहीं है यह महज एक दिखावा है झूठा दिखावा और इस में फंसकर आदमी नकली स्वभाव का होकर नकली दिखता है। पर आज स्थिति यह है युवक युवती, महिला पुरूष सभी ग्लैमर पसंद हो गये है। टीवी शो में भी क्लेमर देखना चाहेंगे, किसी इंसान को भी साधारण कपड़े के बजाय ग्लैमरस कपड़े में देखना ज्यादा पसंद करेंगे और विशेष अवसर पर तो अपने आप को इतना ग्लैमरस बनाएंगे कि बस कई दूल्हा दुल्हन तो हैसियत नहीं है तो भी किराए के कपड़े पहनेंगे। ब्यूटी पार्लर वाले को भारी भरकम रकम देंगे। सेल्समैन एक अपनी आइडियल ग्लैमर बनाकर रहता है टाई, पालिश जूते, हाथ में बैग, करीने से जमे बाल। ग्लैमर बनाने के लिए पोशाक का भी बड़ा महत्व है जैसे आर्मी, नेवी, पायलट, डॉक्टर, वकील, पुलिस आदी की पोशाक। पोशाक के ग्लेमर से कहीं-कहीं तो एक आइडेंटी हो जाती है और बड़ा अच्छा लगता है। पर कोई यदि बिना वजह का ग्लैमर दिखाता है आड़े तिरछे बाल कटा लेंगे, बदरंग जूते, फटी जींस पहनेंगे वहां जाकर ग्लैमर बड़ा भद्दा लगता है। वैसे यदि कोई इंसान अपनी शारीरिक रचना में ग्लैमर लाना चाहता है तो वह खूब एक्सरसाइज और मेहनत करे और अपने को फिट रखने के लिए योग, ध्यान, संतुलित आहार, नियमित व अनुशासित जीवन जीये। जो व्यक्ति अपनी सोच अनुसार सच्चाई और धरातल के ग्लैमर पर भी रहते हैं वह हमेशा इज्जत पाते हैं। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) यह लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं I
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