नई दिल्ली । कट्टरपंथ भारत के लिए भी बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। कई राज्यों में कट्टरपंथ के अलग-अलग रूप सामने आए हैं। आतंकी संगठन आईएस की विचारधारा से प्रेरित संगठनों के अलावा जमात सहित कई अन्य कट्टरपंथी संगठन सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन रहे हैं। फ्रांस के मसले पर भारत के कुछ हिस्सों में विरोध को भी सुरक्षा एजेंसियों ने गंभीरता से लिया है। इसके पीछे कौन लोग हैं इसका पता लगाकर कार्रवाई करने की भी तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, कट्टरपंथ कई राज्यों में फैल रहा है। भारत मे ज्यादातर पकड़ में आए कट्टरपंथी तत्व ऑनलाइन माध्यमों से विदेश में बैठे आकाओं से जुड़े रहे हैं। केरल,जम्मू कश्मीर,पश्चिम बंगाल, पश्चिमी उत्तरप्रदेश सहित कई जगहों पर आईएस व अलकायदा से प्रेरित जमात, हरकत उल हर्ब आदि अलग-अलग नामों से कट्टरपंथी गतिविधियां संचालित की गई। कटररपंथ के लिए एजेंसियो के राडार पर पीएफआई की गतिविधियां भी लगातार हैं। हालांकि संगठन अपनी संलिप्तता से इनकार करता रहा है, लेकिन एजेंसिया अलग-अलग राज्यों में तथ्य खंगाल रही हैं। सूत्रों के अनुसार कट्टरपंथ से निपटने के लिए सुरक्षाबल कई स्तरों पर रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। ऑनलाइन माध्यमों पर सतत निगरानी रखी जा रही है। इसके अलावा जमीनी हरकतों पर भी नजर रखी जा रही है। कई जगहों पर मदरसों के जरिये कट्टरपंथ फैलाने की कोशिश पर भी सुरक्षा व खुफिया एजेंसी नजर बनाए हुए है।
कट्टरपंथ के सभी रूपों के खिलाफ भारत और फ्रांस मिलकर लड़ेंगे। फ्रांस में आतंकी वारदात के बाद भारत ने फ्रांस के सामने स्पष्ट किया है कि कट्टरपंथ सेंसरशिप का सबसे डरावना रूप है और इससे मिलकर लड़ने की जरूरत है। ऑनलाइन कट्टरपंथ के प्रसार पर नकेल के लिए भी दोनों देश मिलकर काम करेंगे। इसमे सूचनाओं का आदान प्रदान, तकनीकी सहयोग, कट्टरपंथ फैलाने वाले मूल स्रोत की जानकारी एकत्र कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले की रणनीति शामिल है। ऑनलाइन अपराध के विश्लेषण और खुफिया सूचनाओं को साझा करने में कई अन्य समान विचारधारा के देश सहयोग करेंगे।