दुख से मुक्ति के बहुत सारे रास्ते हैं पर उसके लिए सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि दुख क्यों है, क्या दुख हमारी वजह से है या किसी और की वजह से है। हमारी वजह से दुख है तो उसका समाधान आपके हाथ में ही है पर यदि किसी और से अपको दुख होता है तो समाधान में बड़ी जद्दोजहद होती है। और यह दुख भी कई प्रकार के होते हैं जैसे घर परिवार में संपत्ति को लेकर, पार्टनर द्वारा व्यापार में धोखाधड़ी, सरकारी अधिकारियों द्वारा काम ना करना, पुलिस द्वारा बिना वजह परेशान करना, ऐसे कई प्रकार के कारण जैसे मोहल्ले वालों द्वारा तिरस्कार करना, ब्लैकमेलर द्वारा ब्लैकमेल करना, गुंडों द्वारा परेशान करना वगैरा-वगैरा। देश में हमें प्रशासन, पुलिस और कोर्ट यह तीन ऐसे स्तंभ बनाये जिनके द्वारा हमारे दुख दुर या कम हो सकते हैं। परंतु कई बार स्थिति ऐसी होती है कि इन्हीं स्तंभ से भी हमें दुख पहुंचता है। तब हम क्या करें पहले तो अपने मित्र परिचित को लेकर उन कष्टों से मुक्ति का रास्ता ढूंढ ले और फिर भी कुछ बात ना बने तो उसके लिए हमारे धर्म गुरु कहते हैं आत्म शांति रख, भगवान को याद कर, ईश्वर में भरोसा रख। हर दुख में तेरा कुछ न कुछ अच्छा होगा, यह एक ऐसी गोली है जो संतुष्टटी देती हैं और हर चीज को हम अपना भाग्य मान लेते हैं। हम यह मान लेते हैं कि यह हमारे पुराने भव के कर्म है। और यह सरल जीवन जीने का रास्ता है।जब आप कुछ ना कर सको तो भगवान पर छोड़ दो।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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