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चार आँसू कोई रो दिया, फेर के मुँह कोई चल दिया,लुट रहा था किसी का जहाँ, देखती रह गई ये ज़मीं, चुप रहा बेरहम आसमां

Updated on 01-11-2021 07:51 PM
यह जो मेरी पायलों
 की छम छम थी,
 इस पर चोरों
 की नज़र थी ।
 किस्मत ने ना जाने,
 यह खेल कैसा खेला ।
 कोई दर्द ना जाने मेरा,
 अब जाऊं,तो कैसे जाऊं,
 हे जान जिस्म में मेरे
 पर चल ना पाऊं ।
 क़तरा क़तरा आँखों से
 क्यों बहती है मज़बूरी,
 पर अब मैं उठ ना पाऊं।।
मेरा भारत महान,पर यहां के कुछ बाशिंदों की आँखों में महिला सम्मान क्या होता है,वह इससे कोसों दूर है,चंद रुपयों के लिए गीता देवी के पैर के पंजे काटकर चांदी की पायल और चांदी के कड़े निकाल कर ले जाते हैं,वहीं दूसरी ओर हम नारियों को देवियों का रूप मानते हैं,इस दौर में हमें क्या हो गया है,हवस को पूरी करने के लिए बच्चियों की ज़िंदगीयो के साथ खिलवाड़ किया जाता है,दहेज़ के नाम पर मासूम बेटियों को आग के हवाले कर दिया जाता है,नशे के पैसों के लिए पत्नियों को पीटा जाता है, पैसा ही सब कुछ हो गया है,ऐसे लोगों के लिए मेरे शब्दकोश में कोई शब्द नहीं है,जिन शब्दों से इन दानवों को संबोधित कर सकूं। भैंसों को चराने के लिए गीता देवी अपने पैरों से अपनी भैंसों को लेकर जंगल गई थी,वापस आई उसकी लाश वो भी चार टुकड़ों में,अब आप सोचो उस महिला की क्या गलती थी,उसने तो पायल और चांदी के कड़े सुहागन होने की निशानी के रूप में पहने थे,जब लुटेरों की नज़र गीता देवी के पैरों पर पड़ी,तो उन लुटेरों की आँखों में चांदी की चमक समा गई,गीता देवी को पता चल गया था,इन लुटेरों की नज़र उनके चांदी के आभूषणों पर है,गीता देवी अपनी भैंसों को छोड़कर जंगल की तरफ भागी,उसके पीछे लुटेरे अपने हथियारों को लेकर। गीता देवी के तरफ बढ़ते जा रहे थे,एक लुटेरे ने गीता देवी के सिर पर अपने हथियार से ज़ोरदार वार किया,गीता देवी चीख़ रही थी मदद के लिए चिल्ला रही थी पर बयाबान जंगल में उसकी आवाज़ को सुनने वाला कोई नहीं था,उसके सिर से खून के फव्वारे उठ रहे थे,चक्कर खाकर गीता देवी धरती पर गिर पड़ी,फिर लुटेरों ने ऐसा किया जो इंसानियत को झकझोर देता है, क्रूरता की हद पार कर दी इन लुटेरों ने, उनके पास दो विकल्प थे,चांदी की पायल और कड़ों को गीता देवी के पैरों से खोल कर निकाल ले, बहुत कोशिश की पर कड़े और पायल खुल नहीं रहे थे,तो उन्होंने गीता देवी के दोनों पंजों को काटकर शरीर से दूर फेंक दिया और चंद रुपए के पायल और कड़े लेकर वहां से रफूचक्कर हो गए। गीता देवी जो दिन भर घर के कामों में जुटी रहती थी,पहले अपने पति को फिर बच्चों को भोजन करवाने के बाद खुद भूखी रहकर अपनी भैंसों का पेट भरने के लिए जंगल ले गई थी ,उस महिला के साथ ऐसी घटना घट जाए तो इस युग को आप क्या कहेंगे । राजस्थान के जयपुर स्थित जामवारामगढ़ इलाके में एक खौफ़नाक वारदात सामने आई है।  यहां खेतहपुरा गांव में लूट के इरादे से दिन दहाड़े एक महिला की हत्या कर दी गई। अज्ञात लुटेरों ने गीता देवी की हत्या कर उसकी चांदी की पायल और अन्य आभूषण लूटने के लिए उसके कुल्हाड़ी से पैर काट दिए जिसके बाद उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस को गीता देवी के गले पर चोट के निशान मिले हैं। पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि लुटेरों ने गीता देवी को लूटने के लिए उसकी हत्या की हैं। अब एक ही सवाल हर हिंदुस्तानी के दिमाग में उठता है,कब तक हमारे देश में महिलाओं और बच्चियों के साथ अत्याचार होता रहेगा,कब तक हमारे देश के नेता इन अत्याचारों पर अपनी राजनीति की रोटियां सेकते रहेंगे,कब तक नेताओं की नाटक नौटंकीया चलती रहेंगी,कब तक नेता पीड़ित परिवारों के यहां जाकर झूठी तसल्ली देते रहेंगे,कब तक हमारे नेता पीड़ित परिवारों के घरों पर जाकर टीवी चैनल के कैमरों के सामने घड़ियाली ऑंसू बहाते रहेंगे,कब तक एक पार्टी,दूसरी पार्टियों पर उंगलियां उठाती रहेगी,क्या यह सब यूं ही चलता रहेगा,इसी तरह देश की महिलाओं और बच्चियों की अस्मत लुटती रहेगी,इसी तरह देश की बेटियां दहेज की आग में झुलसती रहेंगी, राम,महावीर, गांधी के देश में जहां पर हिंसा की कोई जगह नहीं,उसी देश में आज हिंसा एक आम बात हो गई है । आखिर यह सब कुछ कब तक ?
चार आँसू कोई रो दिया,
 फेर के मुँह कोई चल दिया।।
 लुट रहा था किसी का जहाँ,
 देखती रह गई ये ज़मीं,
 चुप रहा बेरहम आसमां।।

मोहम्मद जावेद खान,संपादक ,भोपाल मेट्रो न्यूज़




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