नई दिल्ली ।चीन के खतरनाक मंसूबों के चलते एलएसी को लेकर अब तक कोई भी कूटनीतिक पहल कामयाब नहीं हुई है। गलवान हिंसा के बाद से अब तक विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, दो विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के कार्य तंत्र के अलावा कमांडर स्तर की कई दौर की बातचीत हुई है। लेकिन, हर बातचीत के बाद चीन का रवैया जमीन पर अलग होता है। जयशंकर चीन के इस रुख को बेनकाब करेंगे। मॉस्को में 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के मुलाकात की संभावना है। हालांकि, अभी तक भारत ने आधिकारिक रूप से जयशंकर-वांग यी मुलकात की पुष्टि नहीं की है। माना जा रहा है कि भारत की नजर सीमा के डेवलपमेंट पर बनी हुई है। स्थिति के मुताबिक एससीओ बैठक के दौरान ही मुलाकात पर फैसला होगा। मॉस्को में विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीनी विदेश मंत्री वांग यी के सामने ये तर्क मजबूती से रखेंगे कि आखिर सीमा पर शांति के लिए जरूरी पहल से चीन क्यों मुंह मोड़ रहा है। सूत्रों ने कहा, गलवान हिंसा के बाद 17 जून को दोनों विदेश मंत्रियों की फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों में जिम्मेदारी से स्थिति संभालने पर सहमति बनी थी। अब एक बार फिर बेहद तनाव की स्थिति में दोनों विदेशमंत्रियों की सीधे आमने सामने बातचीत की संभावना बनी है। ऐसे में इस बातचीत पर सबकी निगाहें टिकी हैं। सूत्रों ने कहा, जयशंकर चीनी विदेश मंत्री को 17 जून को हुई विदेश मंत्री स्तर की बातचीत और 5 जुलाई को हुई विशेष प्रतिनिधि स्तर की बातचीत का हवाला देंगे। साथ ही पूर्व में मोदी - जिनपिंग वार्ता की भावना का हवाला दिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि चीन की तरफ से बार बार सीमा पर उकसाने वाली कार्रवाई हो रही है, इसलिए बातचीत का माहौल भी बिगड़ रहा है। लग रहा है कि किसी खास उद्देश्यों के तहत ऐसा किया जा रहा है। गौरतलब है कि जयशंकर को चीन मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। सूत्रों ने कहा, भारत बातचीत का दायरा बढ़ाने को भी तैयार है। बशर्ते चीन अपनी ओर से ग्राउंड पर सार्थक पहल करे।