भारत के शहरों में तेजी से सडको का निर्माण हो रहा हैं परंतु कई जगह आर्किटेक्ट या संबंधित विभाग द्वारा इंजीनियरिंग की कमी रह रही है। सड़कें पक्की सीमेंट की बनाई पर कई जगह सड़क के दोनों किनारे (साइड की पटरी) को खाली छोड़ देगे या मुरूम मिट्टी भर देगे उन्हे पक्का नहीं बनाते, कहीं बनाया भी तो वहा आए दिन होने वाली खुदाई के बाद उसे पुनः पक्का नहीं बनाते नतीजन सड़क पर धूल रह जाती है और वहा से गुजरती गाड़ियों के कारण धूल के कण हवा मैं उड़कर सभी तरफ फैलने से आपके बिल्डिंग की छत, वरांडा, बाहर खड़ी कार पर धूल जमती है, इनकी सफाई धुलाई पर पानी का नुकसान हो रहा है। कपड़े रोज धुलने से साबुन का नुकसान हो रहा है। मुख्य सड़क के किनारे बने मकानों का आंगन वरांडा रोज धोना पडते हैं घरों के भितर रोज पानी-पोता लगाना पड़ता है उसमें भी पानी का व्यर्थ मैं खर्च होता है। सड़क निर्माण के संबंधित विभाग चाहे नगर निगम,पीडब्ल्यूडी, पंचायत या प्रधानमंत्री योजना के अंतर्गत बनाने वालो ने सड़क और साइड की पटरियो को एक साथ बनाना चाहिए वहा पर यदि ड्रेनेज लाइन, वाटर लाइन या बिजली के काम है तो वह भी हाथो हाथ होना चाहिए ताकि बार-बार खोदा पीटी नहीं हो तब जाकर संपूर्ण सफाई होगी और बाहर से हमारे मकान भी खूबसूरत दिखेंगे हमारे कपड़े जूते लंबे समय तक गंदे नहीं होंगे। पानी की बचत होगी। अशोक मेहता, (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने
विचार है)
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