नई दिल्ली । कोरोना महामारी काल में आयुर्वेद के महत्व को सभी ने समझा है। कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक चीजों का इस्तेमाल आज देश में हर जगह हो रहा है। देश में तेजी से आयुर्वेद का महत्व बढ़ा है। इस बीच 13 नवंबर को पांचवां आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा। आयुष मंत्रालय ने गुरुवार को घोषणा की कि इस साल आयुर्वेद दिवस का मुख्य विषय 'कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका' होगा।
आयुर्वेद दिवस 2016 से हर साल धन्वंतरि जयंती के दिन मनाया जाता है। आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य आयुर्वेद और उसके विशिष्ट उपचार तरीकों की शक्तियों पर ध्यान केंद्रित करना है। मंत्रालय ने कहा कि आयुर्वेद दिवस केवल समारोह या उत्सव नहीं, बल्कि व्यवसाय और समाज के प्रति पुन: समर्पण का अवसर है। आयुष मंत्रालय ने पांचवें आयुर्वेद दिवस पर कई गतिविधियां आयोजित करने का फैसला किया है। मंत्रालय ने बताया कि इस अवसर पर कोविड-19 महामारी के लिए आयुर्वेद विषय पर वेबिनार का आयोजन किया जाएगा। दुनियाभर के करीब डेढ़ लाख प्रतिभागी वेबिनार में भाग ले सकते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कोरोना का इलाज अब पूरी तरह से आयुर्वेद और योग से हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस और प्रोटोकॉल जारी किया, लेकिन इस प्रोटोकॉल के तहत कोरोना के सिर्फ हल्के और कम संक्रमण वालों मरीजों का ही इलाज किया जा सकेगा। गंभीर मामलों में कोरोना के मरीजों को एलोपैथिक इलाज के लिए कोविड अस्पताल में भेजना अनिवार्य किया गया है। प्रोटोकॉल जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना मरीजों के इलाज में ट्रायल के दौरान आयुर्वेदिक दवाओं और योग के प्रामाणिक रूप से प्रभावी पाए जाने के बाद इसे औपचारिक रूप से इलाज में शामिल करने का फैसला किया गया।
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