Select Date:

चुलकाना धाम के नाम से प्रसिद्ध है यहां है राजस्थान के सीकर में बसे खाटू

Updated on 05-07-2023 03:11 PM

पानीपत/चुकलाना : दुनिया में कई मंदिर हैं, हर एक की अपनी कहानी और रहस्य है। ऐसा ही एक मंदिर है हरियाणा राज्य के भव्य समालखा से 5 किलोमीटर की दूरी पर चुलकाना गांव में स्थित है और अब यह गांव चुलकाना धाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां है राजस्थान के सीकर में बसे खाटू श्याम का मंदिर। क्या आप जानते हैं कि चुलकाना गांव में क्यों बसे हैं खाटू श्याम ? आज हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे की कहानी क्या है...

कहते हैं कि चुलकाना गांव वही पवित्र स्थान है कि जहां बाबा श्याम ( बर्बरीक ) ने अपने शीश का दान दिया था और चुलकाना धाम को कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान है. बता दें कि चुलकाना गांव का संबंध महाभारत से जुड़ा हुआ है I


बर्बरीक को मिला महादेव का आशीर्वाद 
पांडव पुत्र भीम के बेटे घटोत्कच की शादी दैत्य की पुत्री कामकंटकटा के साथ हुई थी और इनका एक पुत्र बर्बरीक था. कहते हैं कि बर्बरीक को देवों के देव महादेव का आशीर्वाद मिला हुआ था और उनकी अराधना से बर्बरीक को तीन बाण मिले हुए थे, जिससे वे सृष्टि तक का अंत कर सकते थे I


'हारे का सहारा' क्यों बने बर्बरीक
 बर्बरीक की मां को संदेह था कि पांडव महाभारत का युद्ध नहीं कर सकते। वहीं, उनके बेटे बारिबीक की शक्ति देखकर उन्होंने वचन दिया कि तुम युद्ध देखने जरूर जाओ, लेकिन अगर कहीं, युद्ध करना पड़ जाए तो तुम्हे हारने वाले का ही साथ देना है। माँ के लाडले बर्बरीक ने अपनी माँ की बात और वचन दिया कि मैं हारे वाले का ही साथ दूंगा I इसलिए उन्हें 'हारे का सहारा' भी कहा जाता है। इसके बाद बार्बीक युद्ध देखने के लिए घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। 


एक ही बाण से बनाया गया पूरा पेड़ छेद 

पांडवों का पलड़ा ढह गया था, जब बर्बरीक क्षेत्र था, तब तक पांडव मजबूत हो गए थे, लेकिन पांडवों का तो हारे का समर्थन था। वहीं, अगर वह कौरवों का साथ देता तो पांडव हार जाते। इसे देखते हुए श्रीकृष्ण एक ब्राह्मण का रूप लेकर बारिबीक के पास और बारिबीक की परीक्षा लेने के लिए उन्होंने पीपल के पत्तों  में छेद करने के लिए कहा। साथ ही, एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिया। वहीं, बरबीक ने एक ही बाण से सभी पत्तों में छेद कर दिया। श्रीकृष्ण ने कहा, एक पत्ता रह गया है, तब बार्बिक ने कहा कि तुम अपने पैर हटाओगे, क्योंकि तुम्हारे पैर के नीचे पत्ते में छेद करके ही लौटेगा। 


धरती पर केवल तीन ही महाबली हैं
जहां उनके दर्शनीय स्थल भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान मांगा था। इस पर अपने बारिबीक ने कहा कि मैं शीश दान नहीं मांगता, लेकिन एक ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता। आप मुझे सच बताएं कि आप कौन हैं? वहीं, भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए तो बर्बरीक ने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया?श्रीकृष्ण ने कहा था कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बलि चाहिए और धरती पर केवल तीन ही महाबली हैं मैं, अर्जुन और तीसरा तुम हो, क्योंकि तुम पांडव कुल से हो। रक्षा के लिए जनहित के लिए ये बलिदान हमेशा याद रहेगा कलयुग में आपको हारे का सहारा कहा जाएगा। खाटू श्याम के नाम से आपकी पूजा होगी। 


आज भी पीपल के पेड़ के हर पत्ते में छेद

श्याम मंदिर के पास एक पीपल का पेड़ है। पीपल के पेड़ के पत्तों में आज भी छेद हैं, जो मध्य युग में महाभारत के समय में वीर बर्बरीक ने अपने बाणों से बेधे थे। वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि जो भक्त बाबा श्याम से मन्नत मांगते हैं, उनका मन्नत खाली नहीं जाता।पानीपत/चुकलाना : दुनिया में कई मंदिर हैं, हर एक की अपनी कहानी और रहस्य है। ऐसा ही एक मंदिर है हरियाणा राज्य के भव्य समालखा से 5 किलोमीटर की दूरी पर चुलकाना गांव में स्थित है और अब यह गांव चुलकाना धाम के नाम से प्रसिद्ध है। यहां है राजस्थान के सीकर में बसे खाटू श्याम का मंदिर। क्या आप जानते हैं कि चुलकाना गांव में क्यों बसे हैं खाटू श्याम ? आज हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे की कहानी क्या है...

कहते हैं कि चुलकाना गांव वही पवित्र स्थान है कि जहां बाबा श्याम ( बर्बरीक ) ने अपने शीश का दान दिया था और चुलकाना धाम को कलियुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान है. बता दें कि चुलकाना गांव का संबंध महाभारत से जुड़ा हुआ है I


बर्बरीक को मिला महादेव का आशीर्वाद 

पांडव पुत्र भीम के बेटे घटोत्कच की शादी दैत्य की पुत्री कामकंटकटा के साथ हुई थी और इनका एक पुत्र बर्बरीक था. कहते हैं कि बर्बरीक को देवों के देव महादेव का आशीर्वाद मिला हुआ था और उनकी अराधना से बर्बरीक को तीन बाण मिले हुए थे, जिससे वे सृष्टि तक का अंत कर सकते थे I



'हारे का सहारा' क्यों बने बर्बरीक

 बर्बरीक की मां को संदेह था कि पांडव महाभारत का युद्ध नहीं कर सकते। वहीं, उनके बेटे बारिबीक की शक्ति देखकर उन्होंने वचन दिया कि तुम युद्ध देखने जरूर जाओ, लेकिन अगर कहीं, युद्ध करना पड़ जाए तो तुम्हे हारने वाले का ही साथ देना है। माँ के लाडले बर्बरीक ने अपनी माँ की बात और वचन दिया कि मैं हारे वाले का ही साथ दूंगा I इसलिए उन्हें 'हारे का सहारा' भी कहा जाता है। इसके बाद बार्बीक युद्ध देखने के लिए घोड़े पर सवार होकर चल पड़े। 


एक ही बाण से बनाया गया पूरा पेड़ छेद 


पांडवों का पलड़ा ढह गया था, जब बर्बरीक क्षेत्र था, तब तक पांडव मजबूत हो गए थे, लेकिन पांडवों का तो हारे का समर्थन था। वहीं, अगर वह कौरवों का साथ देता तो पांडव हार जाते। इसे देखते हुए श्रीकृष्ण एक ब्राह्मण का रूप लेकर बारिबीक के पास और बारिबीक की परीक्षा लेने के लिए उन्होंने पीपल के पत्तों  में छेद करने के लिए कहा। साथ ही, एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिया। वहीं, बरबीक ने एक ही बाण से सभी पत्तों में छेद कर दिया। श्रीकृष्ण ने कहा, एक पत्ता रह गया है, तब बार्बिक ने कहा कि तुम अपने पैर हटाओगे, क्योंकि तुम्हारे पैर के नीचे पत्ते में छेद करके ही लौटेगा। 


धरती पर केवल तीन ही महाबली हैं

जहां उनके दर्शनीय स्थल भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान मांगा था। इस पर अपने बारिबीक ने कहा कि मैं शीश दान नहीं मांगता, लेकिन एक ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता। आप मुझे सच बताएं कि आप कौन हैं? वहीं, भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए तो बर्बरीक ने पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया?श्रीकृष्ण ने कहा था कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बलि चाहिए और धरती पर केवल तीन ही महाबली हैं मैं, अर्जुन और तीसरा तुम हो, क्योंकि तुम पांडव कुल से हो। रक्षा के लिए जनहित के लिए ये बलिदान हमेशा याद रहेगा कलयुग में आपको हारे का सहारा कहा जाएगा। खाटू श्याम के नाम से आपकी पूजा होगी। 


आज भी पीपल के पेड़ के हर पत्ते में छेद

श्याम मंदिर के पास एक पीपल का पेड़ है। पीपल के पेड़ के पत्तों में आज भी छेद हैं, जो मध्य युग में महाभारत के समय में वीर बर्बरीक ने अपने बाणों से बेधे थे। वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि जो भक्त बाबा श्याम से मन्नत मांगते हैं, उनका मन्नत खाली नहीं जाता।


अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 15 November 2024
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अधिक महत्व माना गया है और इस दिन गंगा स्नान करने का विधान होता है. स्नान के बाद दान करना बहुत ही फलदायी माना…
 15 November 2024
देव दीपावली का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती पर आकर गंगा घाट पर दिवाली…
 15 November 2024
वारः शुक्रवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: पूर्णिमा तिथि रहेगी.चंद्र राशि: मेष राशि रहेगी.चंद्र नक्षत्र : भरणी नक्षत्र रात्रि 9:54 मिनट तक तत्पश्चात कृतिका नक्षत्र रहेगा.योगः व्यातिपात योग रहेगा.अभिजित मुहूर्तः दोपहर 11:40 से 12:25दुष्टमुहूर्त: कोई नहीं.सूर्योदयः प्रातः…
 14 November 2024
बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 14 नवंबर 2024 को है. यह दिन विशेष रूप…
 14 November 2024
14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि त्रयोदशी और गुरुवार का दिन है। त्रयोदशी तिथि आज सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग…
 13 November 2024
वारः बुधवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: द्वादशी दोपहर 1 बजकर 01 मिनट तक तत्पश्चात त्रियोदशी रहेगी.चंद्र राशिः मीन राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्रः रेवती नक्षत्र रहेगा.योगः…
 12 November 2024
वारः मंगलवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/ पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि : एकादशी शाम 4 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. तत्पश्चात द्वादशी रहेगी.चंद्र राशि: मीन रहेगी.चंद्र नक्षत्र : पूर्वा…
 11 November 2024
वारः सोमवारविक्रम संवतः 2081शक संवतः 1946माह/पक्ष: कार्तिक मास – शुक्ल पक्षतिथि: दशमी शाम 6 बजकर 46 मिनट तक तत्पश्चात एकादशी रहेगी.चंद्र राशि : कुंभ राशि रहेगी .चंद्र नक्षत्र : शतभिषा सुबह 9 बजकर 39 मिनट तक तत्पश्चात…
 10 November 2024
वारः रविवार, विक्रम संवतः 2081,शक संवतः 1946, माह/पक्ष : कार्तिक मास – शुक्ल पक्ष, तिथि : नवमी तिथि रात 9 बजकर 01 मिनट तक तत्पश्चात दशमी तिथि रहेगी. चंद्र राशि…
Advertisement