उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नववर्ष के तीसरे दिन 3 जनवरी को संक्षिप्त प्रवास राजधानी भोपाल में शपथ ग्रहण के नाम रहा। उन्होंने पहले दो मंत्रियों तुलसीराम सिलावट गोविंद सिंह राजपूत को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उसके चंद घंटों के अंतराल के बाद उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नवनियुक्त चीफ जस्टिस मो. रफीक को शपथ ग्रहण कराई। इसके बाद वह वाराणसी के लिए रवाना हो गईं। उनका यह प्रवास दो शपथ ग्रहण कार्यक्रमों के सिलसिले में ही था। अंततः राज्यपाल द्वारा राजभवन में एक सादे समारोह में तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद की शपथ दिलाने के साथ ही 73 दिन बाद ही सही उनकी फिर से मंत्री बनने की चाह पूरी हो ही गई। वैसे उपचुनाव जीतने के बाद 54 दिन इंतजार की मजबूरी भी उन्हें झेलना पड़ी। वैसे उपचुनाव के बाद से ही उन्हें उम्मीद थी कि तत्काल फिर से वह पद वापस मिल जाएंगे जो 6 माह के भीतर विधानसभा के सदस्य ना बनने के कारण उन्हें छोड़ना पड़ा था। नववर्ष के तीसरे दिन 3 जनवरी को दोनों के इंतजार की घड़ियां खत्म हो गईं। सिलावट को शपथ लेने की जब सूचना भेजी गई तो वह भोपाल में ही थे लेकिन राजपूत मथुरा में मंदिरों के दर्शन कर रहे थे और भक्ति भाव में लीन थे। उसी समय उन्हें फिर से पद मिलने का वह सुखद संदेश मिला जिसकी प्रतीक्षा वह उपचुनाव जीतने के बाद से ही कर रहे थे। वैसे सिलावट और राजपूत कमलनाथ सरकार में भी मंत्री थे और शिवराज सरकार में 21 अप्रैल को पुनः शामिल हो गए तथा 21अक्टूबर को दोनों को ही मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। राजपूत को शिवराज सरकार में दूसरे विस्तार के बाद राजस्व तथा परिवहन जैसा महत्वपूर्ण विभाग जो उनके पास कमलनाथ सरकार में था वापस मिल गया था। तकनीकी तौर पर तो यह शिवराज सरकार का माइक्रो विस्तार है पर वास्तव में उन चेहरों की फिर से वापसी है जिन्हें संवैधानिक बाध्यता के चलते चुनाव प्रचार के दौरान ही त्यागपत्र देना पड़ा था। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उन्होंने मंत्री पद तथा विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव नतीजों के बाद से ही यह अटकलें चल रही थी कि शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार जल्दी होने वाला है लेकिन सिलावट और राजपूत का इंतजार उनकी अपेक्षा से कुछ ज्यादा लंबा हो गया। गोविंद सिंह राजपूत शपथ ग्रहण कार्यक्रम का लंबे समय से इंतजार कर ही रहे थे इसका संकेत इस बात से मिलता है कि उन्होंने राजभवन शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने जाने के पहले कहा कि सब्र का फल मीठा होता है। पार्टी नेतृत्व उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगा उसे वह पूरी निष्ठा से निभाएंगे। डेढ़ माह की अवधि में भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को चार बार भोपाल आकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन के पदाधिकारियों से मुलाकात करना पड़ी थी। भले ही मुलाकात औपचारिक तौर पर सौजन्य तथा अन्य विकास कार्य से संबंधित बताई गई हो लेकिन उनमें एक मुद्दा दोनों को मंत्री बनाने का अवश्य ही रहता होगा। जब-जब सिंधिया मुख्यमंत्री और संगठन के नेताओं से मिलने जाते थे तब-तब सिलावट और राजपूत उनके साथ होते थ, यह बात अलग है कि एकांत चर्चा के समय यह लोग नहीं होते थे लेकिन उस परिसर में मौजूद रहते थे।
मनोवैज्ञानिक दबाव में सिंधिया
सिलावट और राजपूत की फिरसे से ताजपोशी में जो देर हो रही थी उसके चलते भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी यह मनोवैज्ञानिक दबाव रहा होगा कि वह अपने सबसे करीबी खासमखास सिलावट और राजपूत की शपथ जल्द से जल्द कराएं। अब देखने वाली बात यही होगी कि उपचुनाव हारने वाली इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया का पुनर्वास सिंधिया किस रूप में करा पाते हैं। इमरती देवी तो यह कहती रही हैं कि महाराज कहेंगे तो मैं कुएं में कूद जाऊंगी। इमरती देवी की इच्छा तो कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ किसी निगम मंडल की अध्यक्ष बनने की है। भाजपा के अपने पुराने विधायकों और पूर्व मंत्रियों को उम्मीद थी हमें भी अवसर मिलेगा लेकिन लगता है कि उन्हें अब कुछ और समय इंतजार करना पड़ेगा। शिवराज के सामने सबसे बड़ी समस्या एक अनार सौ बीमार बाली है याने मंत्री पद मात्र चार बचे हैं और दावेदारों की कतार लंबी है। उन्हें क्षेत्रीय असंतुलन दूर करना है। सत्ता के मुखिया शिवराज और संगठन के मुखिया सांसद विष्णु दत्त शर्मा को क्षेत्रीय संतुलन इस प्रकार बनाना है कि सिंधिया के साथ भाजपा में आने वाले नेता और कार्यकर्ताओं के साथ ही उनके अपने निष्ठावान खाटी नेता अपने को उपेक्षित महसूस ना कर सकें। इस प्रकार का संतुलन और समन्वय बैठाने में शिवराज और विष्णु दत्त किस सीमा तक सफल रहते हैं यह उस समय पता चल सकेगा जबकि मंत्रिमंडल के खाली पद भरे जाएंगे। विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा और निगम मंडलों में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद भर जाएंगे तथा भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित हो जाएगी।
‘शिव-ज्योति’ की जोड़ी रचेगी इतिहास
मंत्री पद की शपथ लेने राजभवन जाने से पहले तुलसी सिलावट ने कहा है कि मध्यप्रदेश में ’ शिव-ज्योति’ की जोड़ी याने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की जोड़ी इतिहास रचेगी। मुख्यमंत्री प्रदेश में विकास की गंगा बहा रहे हैं और उसकी रफ्तार दिन प्रतिदिन और गतिमान होगी तथा हम सब उनके नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न पूरा करेंगे। तुलसी अपने विश्वास पर कितने खरे उतरते हैं यह आने वाले एक-दो साल में पता चल जाएगा ।
और अंत में...
शिवराज मंत्रिमंडल में फिर से केवल दो ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों का शपथ ग्रहण हो और कांग्रेस कुछ ना बोले यह हो नहीं सकता। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शपथ समारोह के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए इसे सौदेबाजी का विस्तार निरूपित किया। प्रदेश अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा में अब ईमानदार, निष्ठावान, योग्य लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। जब मंत्रिमंडल के 6 पद खाली थे तो सिर्फ सिंधिया समर्थक 2 लोगों को ही शामिल करना और बाकी स्थानों को खाली छोड़ देना यह बताता है कि भाजपा चंद आयातित लोगों के भारी दबाव में है । सत्ता के लिए भाजपा की ऐसी असहाय स्थिति पहले कभी नहीं देखी ? सलूजा ने तंज किया कि आज महाराज मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और भाजपा- शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार एक बार फिर टला, टिकाऊ विधायक एक बार फिर ठगे गए। अब अगले चरण में हारे हुए मंत्रियों की निगम मंडलों में ताजपोशी होगी।
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