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रेत के दाम अभी और बढने के अनुमान

Updated on 22-06-2020 09:11 PM
लाकडाउन के कारण भंडारण नहीं कर पाए ठेकेदार
भोपाल। निमा्रण कार्य कराने के बारे में सोच रहे लोगों के लिए यह खबर बुरी है, क्योंकि सबसे जरुरी वस्तु रेत के दाम अभी और बढ सकते हैं। पहले लाकडाउन और उसके बाद बारिश जल्द आने से ठेकेदार रेत का भंडारण नहीं कर पाए, इसलिए पिछले दो माह से रेत इकट्ठी कर रहे बिचौलियों का साम्राज्य कायम रहेगा और रेत के दाम 65 से 70 रुपये फीट तक जाने की आशंका है। वर्तमान में दो से ढाई गुना अधिक दाम में रेत बिक रही है। हालात यह हैं कि छोटे निर्माण कार्यों के लिए बाजार में रेत मिल ही नहीं रही है। दिसंबर 2019 में खनिज विभाग ने बोली लगाकर 19 जिलों में तीन साल के लिए लीज पर खदान लेने वाले ठेकेदारों को 12 जून तक खदानें सौंपी थीं। विभाग पांच से 11 जून के बीच ठेकेदारों को खदानें सौंपने की ताबड़तोड़ कार्यवाही करता रहा। जानकार बताते हैं कि जिन ठेकेदारों को उत्खनन की अनुमति मिल गई। उन्होंने 12 जून से उत्खनन कर रेत का भंडारण शुरू किया था और 16 जून से प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश शुरू हो गई। राजधानी और आसपास के जिलों में रेत उपलब्‍ध कराने वाले होशंगाबाद, सीहोर और रायसेन जिले में चार दिन पहले करीब डेढ़ घंटे तेज बारिश हुई है। इसका असर खदानों और खदानों तक जाने वाले रास्तों पर पड़ा है। रास्तों में कीचड़ होने से जहां डंपर खदानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। वहीं कुछ खदानों में पानी भी भर गया है। सूत्र बताते हैं कि 12 से 16 जून तक चार दिन में प्रदेशभर में ठेकेदार 18 लाख घनमीटर रेत का ही भंडारण कर पाए हैं। जबकि हर माह करीब 12 लाख घनमीटर रेत की जरूरत होती है। ऐसे में ठेकेदारों ने जो रेत का भंडारण किया है, वह अधिकतम डेढ़ माह ही चल पाएगी और फिर पूरा बाजार बिचौलियों के हाथों में होगा। ज्ञात हो कि वर्तमान में 50 से 60 रुपये फीट में रेत बिक रही है। वह भी सिर्फ बड़े विक्रेताओं के पास है। पिछले साल ही तय हो गई थी दामों में बढ़ोतरी रेत के दामों में बढ़ोतरी तो पिछले साल तभी तय हो गई थी, जब कमल नाथ सरकार ने छह गुना अधिक दाम में रेत खदानें नीलाम की थीं। रही-सही कसर ठेकेदारों और खनिज विभाग के अधिकारियों की लापरवाही ने पूरी कर दी। लॉकडाउन में रेत नहीं बिकेगी। यह सोचकर ठेकेदारों ने मार्च से मई तक उत्खनन शुरू नहीं किया। उन्हें डर था कि खदान की सुपुर्दगी लेते ही सरकार पैसा मांगना शुरू कर देगी और फिलहाल रेत बिकना नहीं है। वे छूट मिलने की कोशिशों में लगे रहे और रेत का संकट खड़ा हो गया। सरकार ने सिर्फ ठेकेदारों को खदानें सौंपकर जनता को अपने हाल पर छोड़ दिया है। अब चाहे बिचौलिए ठगी करें या ठेकेदार, सरकार को कोई लेना-देना नहीं है। इसके लिए विभाग के अधिकारी भी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। उन्हें बाजार की स्थिति देखते हुए व्यवस्था बनानी थी पर वह प्रदेश के सियासी संग्राम के मजे लेते रहे। सरकार के पास कोई योजना नहीं रेत को लेकर इतनी हायतौबा के बाद भी सरकार के पास दाम कम कराने की कोई योजना नहीं है। 

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