चुनाव : क्या तीन राज्यों में "कमल" के पोषक होंगे केजरीवाल ?
Updated on
12-03-2023 12:31 PM
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल की हालिया घटनाक्रम को छोड़कर जो तेजी से अखिल भारतीय राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हिलोरें मार रही थीं उसके चलते क्या वह मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस साल के अन्त में होने वाले राज्य विधानसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाने में मददगार साबित होंगे या नहीं । 2018 के विधानसभा चुनावों में तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी थी। बाद में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के दलबदल का तड़का लगवा कर भाजपा ने अपनी सरकार बना ली और केवल लगभग डेढ़ साल के अंतराल को छोड़कर बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिर से राज्य की कमान संभाल ली। जहां तक छत्तीसगढ़ का सवाल है वहां फिलहाल तो कांग्रेस काफी मजबूत पायदान पर खड़ी नजर आ रही है और मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार दलबदलुओं की बैसाखी पर टिकी है, लेकिन यहां पर शिवराज का अपना आभामंडल है जिसके चलते भाजपा भी मजबूत पायदान पर खड़ी नजर आ रही है। यहां कांग्रेस कम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नेतृत्व अधिक परीक्षा की कसौटी पर है, क्योंकि सारी जमावट व संसाधनों की व्यवस्था उनके कंधों पर है। हालांकि 2018 की तरह दिग्विजय सिंह फिर से मध्यप्रदेश में सक्रिय हो गये हैं और वे कांग्रेस से रुठे व निराश होकर घर में बैठे कार्यकर्ताओं को चार्ज करने के अभियान में जुट गये हैं। राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदलने की लम्बे समय से रबायत रही है और देखने वाली बात यही होगी कि इस रबायत को बदलने में राजस्थान में सचिन पायलट के विद्रोही तेवर मददगार साबित होते हैं या उनके तेवरों से भी कमल खिलने के हालात और मजबूत होंगे। इन सबके बीच आम आदमी पार्टी की क्या भूमिका होगी क्योंकि यह चर्चित हो गया है कि आम आदमी पार्टी तीनों ही राज्यों में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का पूरी तरह से मन बना चुकी है।
जहां तक केजरीवाल का सवाल है वह अपने तईं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकल्प बनने का सपना लंबे समय से देख रहे हैं जबकि उन्हें तथा बसपा सुप्रीमो मायावती को विपक्षी एकता की राह में बड़ी बाधा माना जा रहा है। दिल्ली में आबकारी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और सीबीआई की जांच के बाद जिस तेजी से घटनाक्रम घूम रहा है उसको देखते हुए क्या चुनाव आने तक किसी बड़ी भूमिका में केजरीवाल उतने ही ताकतवर रह पायेंगे जितने वे अभी तक अपने आप को मानते रहे हैं। यह देखा गया है कि केजरीवाल ने जहां-जहां अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाई है वहां-वहां उन्होंने कांग्रेस को अधिकतम नुकसान पहुंचाया है और भाजपा को न्यूनतम। अभी उनकी मध्यप्रदेश छत्तीसगढ व राजस्थान तीन राज्यों में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की जो राजनीतिक महत्वाकांक्षा हिमालयीन उछाल मार रही है वह उस समय तक टिकी रहेगी या नहीं इस पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा। इसलिए राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चटकारेदार चर्चा है कि क्या केजरीवाल इन राज्यों में कमल खिलाने की भूमिका में मददगार हो पायेंगे या नहीं। हो सकता है कि अब वह भी विपक्षी एकता में आगे चलकर शामिल हो जायें और जो विपक्षी एकता अभी दूर की कौड़ी नजर आ रही है उसे जांच एजेंसियां एक मजबूत प्लेटफार्म प्रदान कर दें। जहां तक राजनीतिक जनाधार का सवाल है फिलहाल छत्तीसगढ़ व राजस्थान में आम आदमी पार्टी का कोई खास जनाधार नहीं है लेकिन मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में उसे कहीं-कहीं छुटपुट सफलता भी हाथ लगी है और उसका एक महापौर भी है। लेकिन महापौर प्रत्याशी अपने स्वयं के जातिगत और पारिवारिक पृष्ठभूमि के प्रभाव के चलते चुनाव जीती हैं या उसमें आम आदमी पार्टी का भी कोई खास योगदान है इसको लेकर सवाल उठते रहे हैं। जहां तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों का सवाल है फिलहाल तो उसने कोई बहुत बड़ी राजनीतिक शक्ति अपने आप को साबित नहीं किया है और कट्टर ईमानदार होने की जो छबि थी उसको जांच एजेंसियां कितना धूमिल कर पाती हैं इस पर भी आने वाले चुनावों में तीनों राज्यों में इस पार्टी का कितना राजनीतिक प्रभाव चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की स्थिति में होगा यह आगामी दो-तीन माह के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद ही कहा जा सकेगा। लेकिन फिलहाल तो यह लगता है कि आम आदमी पार्टी के आला नेता लम्बे समय तक जांच एजेंसियों के चक्कर लगाने में ही व्यस्त रहेंगे।
अमित शाह के बाद विंध्य में कांग्रेस भी सक्रिय
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के विंध्य क्षेत्र के दौरे के बाद अब यहां के मोर्चे पर कांग्रेस भी सक्रिय हो गई है और वह फिर से अपने लिए पूर्व में उर्वरा रही विंध्य क्षेत्र में अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने के अभियान में तेजी से भिड़ गई है। पूर्व मंत्री और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह तो काफी समय से भाजपा में सेंध लगाने और कांग्रेस को मजबूत करने के लिए अपना पसीना यहां बहा रहे हैं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी अपनी सक्रियता विंध्य सहित पूरे प्रदेश में बढ़ाते जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद दिग्विजय सिंह अब फिर अपनी उसी भूमिका में आ गए हैं जिसके चलते उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एकजुट कर 2018 के विधानसभा चुनाव में सक्रिय किया था और जिसके फलस्वरुप कांग्रेस की सरकार बनने के लिए एक मजबूत आधारभूमि तैयार हो गई थी जिसे मतदान केंद्रों तक पहुंचने वाले मतदाता के मानस को कांग्रेसमय बनाने में कमलनाथ और वर्तमान केंद्रीय मंत्री एवं तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के रुप में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ी भूमिका अदा की। दिग्विजय सिंह विंध्य क्षेत्र के मोर्चे पर सक्रिय हो गए हैं और तीन दिन तक सतना तथा रीवा में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर उसकी नब्ज टटोलने की कोशिश वे कर रहे हैं। शुक्रवार से प्रारंभ हुआ दिग्विजय का यह अभियान रविवार तक चलेगा। इसमें वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के घर भी जायेंगे, रुठे हुए कार्यकर्ताओं को मनायेंगे तथा उन्हें घरों से निकलकर कांग्रेस के लिए संघर्ष करने को प्रेरित करेंगे। इसी अंचल के सतना में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी अन्य पिछड़ा वर्ग के सम्मेलन में शिरकत कर चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उसकी अपेक्षा के उलट धीरे से जोर का झटका यहां लगा था और अंचल की 30 सीटों में से कांग्रेस केवल 8 सीटें ही जीत पाई थी, यही कारण है कि कांग्रेस इस ओर विशेष ध्यान दे रही है। इस इलाके में नगरीय निकाय और विधानसभा उपचुनाव में मिले अच्छे नतीजों से कांग्रेस उत्साहित भी है और इस समय रीवा में महापौर भी कांग्रेस का ही है।
और यह भी
भाजपा तो चौबीसों घंटे साल भर चुनावी मोड में रहती है लेकिन इस बार अपनी आदत और स्वभाव के विपरीत कांग्रेस काफी पहले से सक्रिय हो गयी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ 15 दिनों के दौरे कर चुके हैं और वहीं दिग्विजय सिंह ने भी मैदानी मोर्चा संभाल लिया है। वे अब तक सागर, भोपाल, सीहोर, नीमच, मंदसौर, नर्मदापुरम और राजगढ़ जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें सक्रिय कर चुके हैं। विंध्य क्षेत्र के अपने दौरे में वह रामपुर बघेलान, रीवा, मनगंवा और त्योंथर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता तो देखते ही बनती है, वह विंध्य क्षेत्र को लेकर भी बहुत ही सजग हैं। जहां एक ओर वे अमित शाह की उपस्थिति में कोल महाकुंभ का आयोजन करवा चुके हैं क्योंकि कुछ क्षेत्रों में कोल समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं तो वहीं दूसरी ओर शिवराज ने मऊगंज को प्रदेश का 53वां जिला बनाने की घोषणा कर एक बड़ा दांव चल दिया है, यह मांग काफी पुरानी है जो अब जाकर पूरी होने जा रही है।
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