भारत अध्यात्म और संस्कृति का देश, परंपरा का सतत निर्वाह इस देश में होता है। घनी आबादी का देश होने से यहां कई सामाजिक नियमों का निर्वाह आवश्यक है। प्राचीन काल से आयुर्वेद का प्रचलन होता आया है। वैसे देखा जाए तो भारतीय प्रकृति के साथ ज्यादा जुड़े हुए हैं विलासिता भारत में है जरूर पर बहुत कम एरिया में अधिकतर जनता ग्रामीण क्षेत्र में बसी हैं।
यहां घरेलू इलाज पर बहुत जोर होता रहा है। पर जब से मेडिकल साइंस मे एलोपैथी का दौड़ चालू हुआ हम धीरे-धीरे अपने घरेलू और पारंपरिक इलाज करना भूल गए। आज पूरा विश्व आयुर्वेद की ओर पुनः आकर्षित हो रहा है भारत में भी आयुष मंत्रालय इस बात पर लगा है पर आयुर्वेद और घरेलू इलाज का जज्बा जनता में होना चाहिए। सांस्कृतिक सामाजिक संस्थाएं लगातार इस पर सेमिनार करें इसका लिटरेचर बनाएं सब को वितरित करें और इसके लिए आयुर्वेद प्लांट्स की नर्सरी डेवलप हो निशुल्क प्रदर्शनी और शिक्षा की क्लासेस लगे। जब भी कोई सांस्कृतिक या अन्य कार्यक्रम हो 10-15 मिनट के लिए घरेलू इलाज की भी चर्चा रहै। निरंतर शोध होते रहे हैं और निशुल्क लिटरेचर बटते रहें।
इंसान के अलावा जानवर भी प्रकृति पर विचरण करते हैं और प्रकृति से ही अपने ईलाज लायक कुछ फल फूल पत्ती आदि खाते रहते हैं।
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