समय की आवश्यकता को जिंदगी की जरूरत इंसान का जीवन खाने पर निर्भर है खाना बराबर मिलता रहेगा इंसान का शरीर चलता रहेगा। जब से हमारी जनसंख्या बढ़ती गई हम लोग खुली जगह में रहते रहते अब छोटे-छोटे घर मकान, प्लेट में सीमित हो गए इसलिए हमारे लिए जो रोज की साग सब्जी उगाने की जगह दी है वह भी धीरे-धीरे बहुत कम होती गई। इंसान बुद्धिजीवी है वह रास्ता निकाल लेता है लोग अपने घर मकान छत, वरांडा, आंगन या गैलरी पर घर के पुराने बर्तनों में, बड़े गमलों में और भी कई तरीके से जेसे ड्रम, पुरानी पेटी कई सारी चीजें हैं जिन पर मिट्टी डालकर थोड़ा सा गोबर खाद मिलाकर सब्जियां उगाना शुरू कर देता है। यह प्रयोग आप अपने घर पर भी कर सकते हैं। जहां थोड़ी बहुत भी जमीन खुली मिलती है उस पर फैंसी पेड लगाने के बजाय या फैंसी पौधे लगाने के बजाय सब्जियां लगाये। इसी तरफ फ्लैट मैं रहने वाले गमलों में सब्जियां लगा सकते हैं। धनिया पुदीना मिर्ची धनिया पालक मेथी अजवाइन के पत्ते पान तुलसी गिलकी करेला लौकी कई लोग तो गोभी और भी सभी सब्जियां उगा लेते हैं। यदि आपके घर के आगे खुली जगह है तो आप जाम सीताफल आम जामुन सुरजना की फली जैसे कई पेड़ लगा सकते हैं और आजकल हाइब्रिड बहुत सारे पोधे आते हैं जैसे अंजीर अंगूर की बेल पपीता आदि लगा सकते हैं। जिस तरह आप पैसा कमाते हैं उसी तरह प्रकृति से खाने की चीजें कमाए यह बात हमेशा ध्यान रखें।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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