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जी 20 की अपार सफलता से भारत विश्व गुरु की भूमिका में

Updated on 11-09-2023 11:29 AM
भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन ऐतिहासिक महा सफलता के साथ संपन्न हुआ है।G20 की स्थापना 1999 में की गई थी ।इसका मूल उद्देश्य भविष्य में आने वाले विभिन्न प्रकार वैश्विक आर्थिक संकटों से सफलतापूर्वक निपटना है।
जी 20 सदस्य राष्ट्र सामूहिक रूप से दुनिया की जीडीपी का लगभग 85 प्रतिशत,वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत और वैश्विक जनसंख्या का लगभग 65%  समाहित करते हैं।जी 20 के इतिहास में सर्वप्रथम भारत की अध्यक्षता में कीर्तिमान स्थापित हुआ है। इस सम्मेलन में भारत के 60 से अधिक शहरों में 200 से ज्यादा बैठकें हुई हैं।एक लाख से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया है।चिंतन -मनन किया है।भारत की अध्यक्षता में ही दोगुनी से अधिक सफलता के साथ यह सम्मेलन संपन्न हुआ है।पहली बार 73 परिणाम लाइन ऑफ एफर्ट्स और 39 संलग्न दस्तावेज (अध्यक्षता दस्तावेज कार्य समूह के परिणाम दस्तावेज सम्मिलित नहीं है) समाहित हैं।इस प्रकार पिछले सम्मेलनों की अपेक्षा इस बार 112 परिणाम और प्रेसीडेंसी दस्तावेजों के साथ दोगुना मूल कार्य हुआ है।यह भारत के लिए और जी 20 में सम्मिलित सभी देशों के लिए अत्यंत ही गर्व का विषय है।दोगुनी दक्षता से कार्य होना सम्मेलन की सफलता का भी परिचायक है।भारत में हुई बैठक विश्व रिकॉर्ड निर्मित हुआ है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल प्रबंधन,अखंड-प्रचंड पुरुषार्थ से संपन्न हुआ है।

वर्ष 2017 में जर्मनी की प्रेसीडेंसी में आयोजित सम्मेलन में मात्र 22 परिणाम और प्रेसीडेंसी दस्तावेजों का ही कार्य हुआ था।वर्ष 2018 में अर्जेंटीना की प्रेसीडेंसी में आयोजित सम्मेलन में 33 परिणाम और दस्तावेजों पर कार्य हुआ था।इसी प्रकार 2019 में जापान में आयोजित सम्मेलन में 29 परिणाम और दस्तावेजों पर मूल कार्य हुआ। वर्ष 2020 में सऊदी अरब में आयोजित सम्मेलन में मात्र 30 परिणाम और दस्तावेजों पर कार्य हुआ।वर्ष 2021 के इटली में आयोजित सम्मेलन में 65 परिणाम एवं दस्तावेजों पर कार्य हुआ।वर्ष 2022 के इंडोनेशिया में आयोजित सम्मेलन में 50 दस्तावेजों परिणाम और संलग्न दस्तावेजों पर कार्य हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नवाचार के कारण ही 55 देश के संघटन अफ्रीकन यूनियन को जी 20 में स्थायी सदस्यता भी प्रदान की गई है। इस कार्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रुचि के कारण ही अफ्रीकन यूनियन को द्रुतता से अल्प समय में मान्यता प्राप्त हुई है।अब जी 21 समूह हो गया है।

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र भारत विश्व के लिए अग्रदूत की भूमिका में स्थापित हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कॉप 26 में लिए गए इनीशिएटिव वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड को ग्रीन क्रेडिट पर केंद्रित किया गया है। भारत के इस प्रस्ताव को जी 20 के देश,ग्रीन क्रेडिट इनीशिएटिव पर कार्य प्रारंभ करेगें।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 के देशों को आश्वासन दिया है कि भारत के अंतरिक्ष मिशन गगनयान, मून मिशन,चंद्रयान 3 की सफलता से सभी परिचित हैं। सूर्य का अध्ययन करने के लिए भेजे गए मिशन आदित्य एल वन का डाटा भी जी 20 देशों के साथ संपूर्ण विश्वको उपलब्ध कराया जाएगा।इसी भावना से भारत के जी 20 सेटेलाइट मिशन फॉर एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट ऑब्जरवेशन लॉन्च करने का प्रस्ताव स्वीकार किया गया है।इस मिशन से प्राप्त जलवायु और मौसम संबंधी आंकड़े सभी देशों को विशेष रूप से ग्लोबल साउथ के देशों के साथ हस्तांतरित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवाचार से  ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस का गठन किया गया है। इसमें भारत सहित अमेरिका ब्राजील आदि 19 देश भी जुड़ गए हैं।20 प्रतिशत एथनाल मिलाने की पहल की जा रही है।इस एलायंस का उद्देश्य जैव ईंधन के लिए वैश्विक सहयोग और इसके उपयोग को बढ़ावा देना है।जैव ईंधन पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण  है। इनको पुनः उत्पन्न किया जा सकता है।इस कारण से देश की जीडीपी में भी वृद्धि होती है।संलग्न किसानों को आर्थिक स्तंभन प्राप्त होता है।जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होती है। जीवाश्म ईंधन के भंडार भी अधिक समय तक पृथ्वी पर संरक्षित रह सकते हैं।जीवाश्म ईंधन को क्रय करने के लिए विदेशी मुद्रा भी नहीं खर्च करनी होती है।भारत प्रतिवर्ष 16 लाख करोड रुपए जीवाश्म ईंधन आपूर्ति में व्यय करता है।जो कुल बजट का लगभग 40 प्रतिशत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारत ने अमेरिका,यूरोप सऊदी अरब एवं यूएई(भविष्य में इजराइल) के साथ मिलकर रेल शिपिंग कॉरिडोर विकसित करने की योजना बनाई है।जिससे अमेरिका और खाड़ी देशों के साथ-साथ यूरोप तक में भारत का डंका बजेगा। भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक नया और बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा।
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से ग्लोबल साउथ के देशों को अत्यंत लाभ होगा क्रिप्टो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क फॉर  जी20 देशों की सहमति क्रिप्टो पॉलिसी को लागू करने में सहायक सिद्ध होगी।


भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्त देशों के राष्ट्र अध्यक्षों का स्वागत किया एवं पीछे बैक ड्राप में उड़ीसा के कोणार्क के सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र के एतिहासिक महत्व की जानकारी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन सहित सभी को दी।इस चक्र के अंदर ही समस्त विज्ञान और अध्यात्म का मिश्रण प्रतिपादित हो रहा है।प्राचीन काल में धार्मिक समारोह के लिए भी समय की गणना इसी चक्र से की जाती थी।भारत के करेंसी नोट पर भी कोणार्क चक्र अंकित है।यह संस्कृत शब्द कोणार्क(कोण एवं अर्क ) दो शब्दों से मिलकर बना है। कोण का अर्थ है कोना और अर्क का अर्थ है सूर्य ।ब्रह्म पुराण में भी कोणार्क के सूर्य मंदिर का उल्लेख मिलता है।

राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने रात्रि भोज दिया।स्थल पर पीछे बैकड्राप में विश्व के सबसे बड़े और प्राचीन विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय की छवि उकेरी गई है।विश्व के इस महान विश्वविद्यालय के बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति एवं समस्त राष्ट्र अध्यक्षों जानकारी पाकर भारत की ज्ञानशक्ति,वास्तुकला,समृद्ध सभ्यता का गौरव बोध हुआ है।इसकी स्थापना पांचवी शताब्दी में हुई थी।डेढ़ हजार वर्ष पहले लगभग दस हजार छात्र अध्ययन करते थे।बारहवीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के द्वारा आग लगा दी गई थी।यह आग 3 महीने से अधिक समय तक लगी रही ।जिसमें 90 लाख से अधिक पुस्तक जल गईं थीं।भोजन के मेन्यू में भारतीय परंपरा और विविधता का ध्यान रखते हुए शाकाहारी व्यंजन निर्मित किए गए हैं।श्री अन्न का प्रमुखता से प्रयोग किया गया है।

इस शिखर सम्मेलन में नरेंद्र मोदी के अपरिमित,सुयोग्य चमत्कारिक वैश्विक नेतृत्व को समस्त देशों ने स्वीकार किया है ।
जी 20 की अप्रतिम सफलता से भारत अवश्य ही विश्व गुरु के रूप में नेतृत्व करेगा,जी 20 के ध्येय वाक्य एक पृथ्वी,एक परिवार,एक भविष्य(वन अर्थ, वन फॅमिली, वन फ्यूचर)के साथ वसुधैव कुटुम्बकम के भाव को सशक्त करेगा।

- सत्येंद्र जैन ,लेखक, संपादक

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