कई बार व्यक्ति बहुत ज्यादा हताश हो जाते हैं जब उसके काम उसके सोच के विरुद्ध होते हैं और वह आर्थिक रूप से भी परेशान होता है। और इस मानसिकता के दौर में वह हमेशा दूसरों पर दोषारोपण करता है। जबकि होना यह चाहिए कि उसे अपने स्वयं का आकलन करना चाहिए कि मैं कहीं ना कहीं गलत हूं और कहां गलत हूं उस बात पर ध्यान देकर गलती सुधारने के लिए भविष्य में ध्यान रखना चाहिए। लेकिन दूसरों पर दोषारोपण देते देते एकदम मानसिक तौर पर पूरी नेगेटिव विचारधारा बन जाती है जिससे उस हताशा के दौर से उभरने का कोई मौका या रास्ता नहीं सुझता है बल्कि और गलती होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे वक्त बहुत शांत चित्त एकाग्रता के साथ पॉजिटिव सोच रखना चाहिए जिससे आपको कोई ना कोई रास्ता निकलता है हमेशा यह ध्यान रखें हर अंधेरी रात के बाद एक सुनहरा उजाला है, दुख आया है तो जाएगा भी। ईश्वर अल्लाह या जिसे भी माने उस पर भरोसा रखना चाहिए वह आपके मनोबल को बढ़ाएंगे जिससे आपको हताशा के दौर से बाहर निकलने में सहायता मिलती है ऐसे समय अपने अच्छे मित्र रिश्तेदार से अपनी परेशानियों के बारे में विचार विमर्श करें कोई ना कोई रास्ता उनके सुझाव से निकल सकता है यि कोई भी आपकी सहायता भी कर सकता है।
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छत्तीसगढ़ राज्य ने सरकार की योजनाओं और कार्यों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजिटल तकनीक को अपना प्रमुख साधन बनाया है। जनता की सुविधाओं को ध्यान में रखते…
वर्तमान समय में टूटते बिखरते समाज को पुनः संगठित करने के लिये जरूरत है उर्मिला जैसी आत्मबल और चारित्रिक गुणों से भरपूर महिलाओं की जो समाज को एकजुट रख राष्ट्र…