आजकल कई नामी डॉक्टर और हॉस्पिटल वहा आपकी बीमारी क्यों हुई यह समझने के बजाय सबसे पहले आपकी जांचे करवाने पर जोर देते हैं (जो कि अब काफी महंगी हो गई और वहां इन लोगों को कमीशन भी मिलता है) उन जांच रिपोर्ट के आधार पर इलाज लिखते हैं।
जांच रिपोर्ट सही है या गलत इस पर वह कभी गौर नहीं करते। आपका मेडिक्लेम है या नहीं यह पहले पूछते हैं ताकि उस अनुसार बिल बना सकें। दवाईये उनकी दुकान से लेना जरूरी है हर दवाई पर अमूमन कंपनियां रिटेलर को 40 से 60 पर्सेंट का मार्जिन देती है इसमें से एक कुछ परसेंटेज हॉस्पिटल मैनेजमेंट ले लेता है यह अच्छी खासी कॉन्ट्रैक्ट फीस ले लेते हैं।
यदी बड़े हॉस्पिटल में भर्ती हैं डॉक्टर आएंगे गुड मॉर्निंग कैसे हैं क्या हाल हैं सब ठीक है और उनकी पूरे दिनभर की बड़ी फीस तय हो जाएगी जबकि ऑपरेशन उन्होंने ही किया है तो आने वाले समय तक देखभाल करना उनकी जवाबदारी है लेकिन वे जितनी बार आपसे मिलेंगे उतनी बार आपसे फीस लेंगे। इसका सीधा मतलब है कि यह एक शुद्ध रूप से व्यवसायिक नजरिया बन गया।
हम लोगों की भी यह मानसिकता बन गई है कि हम बात बात पर बड़े डॉक्टर के पास चले जाते हैं हम अपना कोई भी पारिवारिक फैमिली डॉक्टर बनाकर ही नहीं रखते हैं। और जो लोग अपना एक फैमिली रखकर बनाकर रखते हैं वह इस मेडिकल प्रोफेशन के व्यवसायीकरण से बचे हुए रहते हैं।
आज हालात यह है कि कई बड़े हॉस्पिटल और बड़े नामी डॉक्टर के संपर्क में कई लोग पैसे के साथ-साथ अपना शारीरिक नुकसान भी भुगत रहे हैं जो कि बिना वजह की सर्जरी या स्टंट लगाने के रूप में सामने आती है।
एक बार तजुर्बे दार पुराने डॉक्टर से संपर्क करें यह न सोचे कि इनका नाम नहीं चल रहा है उनके गुण देखें और अपनी बीमारी पर उनसे सलाह करें जो आपकी बीमारी की जांच पड़ताल यहां से शुरू करे की यह बीमारी क्यों हुई।
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