डरे नहीं, प्रकृति से उत्पन्न वायरस का इलाज प्रकृति में खोजें
Updated on
08-12-2021 10:05 AM
आजकल इन दिनों पूरे विश्व की खबरें विभिन्न विभिन्न वायरसो को लेकर हो रही है। उन खबरों को बार-बार पढ़ते से मन डर धर गया। कभी बताते हैं कि यह वायरस बहुत खतरनाक हैं कभी बताते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है कोई ठोस जानकारी जब तक ना आए वायरस के बारे में मीडिया के जरिए कोई बात प्रसारित नहीं करना चाहिए। जनता का डर मेडिकल काउंसिल, सरकार और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन को समझना चाहिए अन्यथा आपके द्वारा दी गई जानकारी और जनता के डर का फायदा फार्मा और मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग उठा लेंगे। कृपया कोई भी जानकारी देने से पहले ठोस प्रमाण जुटाये फिर प्रसारित करें। 130 करोड़ से ऊपर की जनता में यदि मात्र 23 केस किसी वायरस के हैं इसका मतलब यह नहीं कि उन को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है, शासन उसको कंट्रोल करने पर ध्यान दें बनिस्बत उन बात को फैलाने के। शासन के कथन पर मीडिया ऐसे समाचारों को हाईलाइट करता है, लेकिन आम जनता के जीवन पर इस डर का कितना फर्क पड़ता है, बच्चों को स्कूल में भेजने में डर, कहीं बाहर आने जाने में डर लगा रहता है जिंदगी बेजान सी लगती है कि कब क्या हो जाए। स्थानीय प्रशासन भी कड़क नए नए नियम लगा देते हैं उससे जिंदगी और दूभर हो गई है। हमारे रिसर्चर और डॉक्टर इस बात की गंभीरता को समझें। जो बीमारी प्रकृति से उत्पन्न है उसका इलाज भी प्रकृति में खोजें यही परंपरा प्रारंभ से चली आ रही है।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविदू) (ये लेखक के अपने विचार है )
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