वैसे तो टीवी और मोबाइल के जरिए हमें कई जानकारीयाॅ मिलती है और यू देखा जाए तो आज की जरूरत भी है, परंतु ऐसा भी नहीं है कि हम हमेशा टीवी मोबाइल पर लगे रहे। कई बच्चे तो खासकर मोबाइल के इतने आदी हो गए हैं विशेष रुप से छोटे बच्चे खाना भी खाएंगे तो उनको मोबाइल चाहिए। जो मां बाप बच्चों को रोता नहीं देख सकते वह तुरंत उसके हाथ में मोबाइल थमा देते है, बच्चा मोबाइल में लग जाएगा और मां बाप भी फ्री। यह सब गलत है। बच्चों के लिए टीवी रात 9 बजे तक बंद करना चाहिए, मोबाइल भी उनसे लेना चाहिए, उन्हें रात 9 बजे के पहले सोने की और सुबह जल्दी उठने की आदत डलाये कठिनाई तो बहुत होगी क्योंकि कई मां-बाप खुद ही है समय का अनुशासन नहीं रख सकते। यदि आपको आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ सोचना है तो आपको अनुशासन रखना पड़ेगा। बच्चों को मोबाइल सिर्फ उनकी क्लासेज या इंटरनेट पर पढ़ाई या जनरल नॉलेज संबंधित जानकारी लेने तक ही देना चाहिए। बच्चों का घूमने, खेलने का समय भी निर्धारित करें। पढ़ाई के साथ हस्तकला, प्रकृति विज्ञान और मोरल साइंस का ज्ञान भी देते रहे। बच्चों को घर के काम में हाथ बंटाना सिखाएं । बच्चों के सर्वमुखी विकास के लिए यह सब बातें बहुत जरूरी है। पुरानी कहावत है बच्चे का चंट होना जरूरी है। बच्चों मे युवा होते होते अपना लक्ष्य के बारे में माहिती होना चाहिए और उसके लिए सतत प्रयास करे। अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) (ये लेखक के अपने विचार है)
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