जिस तरह से पृथ्वी पर विकास बढ़ते जा रहा है और उसका असर प्रकृति के नियमित चक्र पर आता जा रहा है जिससे मौसम में बदलाव हो रहे हैं वातावरण में निरंतर परिवर्तन हो रहा है और इसका नतीजा यह है कि नए-नए वायरस उत्पन्न होते रहेंगे जो जीव मात्र पर और पेड़ पौधों पर भी अपना असर डालेंगे। आपने सुना ही होगा कि खेत की खेत खत्म हो जाते हैं और कई फलबाग बीमारियों में उजड़ गए। मनुष्य वैसे तो बहुत स्ट्रांग होते हैं पर सबसे कमजोर प्राणी भी होते हैं जिसे एक मच्छर से लेकर बड़े जीव और कोई भी वायरस मार सकता है। हम वायरस के दौर में आ चुके हैं अब तरह तरह के वायरस आते रहेंगे इसलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जितने भी घरेलू उपाय होते हैं उस पर निरंतर चर्चा करते रहना चाहिए प्रयोग करते रहना चाहिए और उन्हें अपनाना चाहिए। भौतिकता की दौड़ में जाने के बजाय मनुष्य को प्राथमिक शिक्षा यही दी जाए कि आप अपने स्वास्थ्य का पहले ख्याल रखो यह शिक्षा उसे घर परिवार से स्कूलों से कॉलेजों से धर्म सभा से शासन प्रशासन से निरंतर मिलना चाहिए और उसका स्वास्थ्य के प्रति जागरण सदैव कायम रहना चाहिए। जितनी सोशल संस्था है उन्होंने स्वास्थ्य जागरण के कैंप लगाना चाहिए स्वास्थ्य के प्रति प्रतियोगिताएं और लिटरेचर बांटना चाहिए।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्) ये लेखक के अपने विचार है I
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