नई दिल्ली । जेल
में बंद एक
कैदी पर प्रतिदिन
के हिसाब से
118 रुपये उसके खाने-पीने और
पांच रुपये प्रतिदिन
उसके स्वास्थ्य पर
खर्च होते हैं,
लेकिन हरियाणा के
मुकाबले दिल्ली की जेल
कैदियों को मिलने
वाले बजट का
66.2 प्रतिशत हिस्सा की खर्च
कर सकी हैं,
जबकि हरियाणा की
जेलों ने कैदियों
पर सौ प्रतिशत
बजट खर्च किया
है। गृह मंत्रालय
के राष्ट्रीय अपराध
रिकॉर्ड ब्यूरो की तरफ
गत दिनों जारी
की गई वर्ष
2019 की रिपोर्ट में कहा
गया है कि
देश की 1350 जेलों
में वर्तमान में
चार लाख 78 हजार
600 कैदी हैं। बीते
पांच सालों में
देश की सभी
जेलों में कैदियों
की संख्या में
14 प्रतिशत की बढ़ोतरी
हुई है। जेलों
में बंद इन
कैदियों में एक
लाख 98 हजार 872 कैदी दसवीं
कक्षा से कम
पढ़े इैं, जबकि
एक लाख तीन
हजार 36 कैदी दसवीं
कक्षा से अधिक
पढ़े हैं, लेकिन
स्नातक नहीं हैं।
30 हजार 201 कैदी स्नातक
हैं और आठ
हजार 85 कैदी स्नातकोत्तर
हैं। इसके अलावा
पांच हजार 677 कैदी
टेक्निकल डिप्लोमा, डिग्री होल्डर
हैं। बताया गया
कि एक लाख
32 हजार 729 कैदी अनपढ़
हैं। रिपोर्ट में
कहा गया है
कि वित्त वर्ष
2019-20 में देश भर
की जेलों के
लिए 6818.1 करोड़ रुपये
का बजट रखा
गया था। एक
कैदी पर 118 रुपये
प्रतिदिन उसके खाने
और अन्य पर
खर्च होते हैं,
जबकि पांच रुपये
प्रतिदिन उसके मेडिकल
पर खर्च होते
हैं। सभी राज्यों
और केंद्र शासित
प्रदेश की जेलों
को मिलने वाले
बजट में से
कैदियों पर सबसे
अधिक हिस्सा हरियाणा
ने खर्च किया
है, जबकि दिल्ली
के कैदियों पर
सिर्फ 66.2 प्रतिशत खर्च किया
गया। हरियाणा को
272.62 करोड़ रुपये तथा दिल्ली
को 310.2 करोड़ रुपये
का बजट मिला
था।