26 साल बाद मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में हो रहा विलंब
Updated on
05-08-2020 12:07 AM
भोपाल । मध्य प्रदेश में 26 साल बाद पहला मौका है जब प्रदेश में समय से नगर निकाय चुनाव नहीं हो रहे। हालांकि इसकी बड़ी वजह राज्य सरकार द्वारा निकाय चुनावों को लेकर की गई तैयारियों का अधूरा होना है। राज्य निर्वाचन आयोग सरकार की हरी झंडी का इंतजार कर रहा है। हालांकि प्रदेश में सरकार ने नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वार्ड आरक्षण का काम जिलों में तेजी के साथ चल रहा है। बताया जा रहा है कि दिसंबर या जनवरी में ये चुनाव कराए जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार फिलहाल कोरोना काल में चुनाव से बचना चाहती है।
सत्ता से बेदखल कांग्रेस की चाहत है कि जल्द से जल्द नगर निकाय चुनाव हों ताकि वह कम से कम स्थानीय सरकार बनाने में जोरआजमाइश कर सके। जिन वार्डों में भाजपा के पार्षद हैं वहां कांग्रेस का परचम लहराने की रणनीति पर भी काम तेजी से चल रहा है। बता दें कि वर्ष 1994 के बाद यह पहला मौका है जब प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव समय पर नहीं हो पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए नगर पालिक विधि (संशोधन) अधिनियम विधेयक भी लाया जा रहा था लेकिन विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित हो गया। अब अध्यादेश के जरिए महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे जनता द्वारा कराए जाने का संशोधित प्रावधान किया जाएगा।
सीमा में परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार नगरीय निकायों की सीमा में परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। कमलनाथ सरकार ने जिन 22 नगर परिषदों को अधिसूचना निरस्त करके ग्राम पंचायत बना दिया था, उन्हें फिर से नगर परिषद बनाया जा चुका है। इन निकायों की मतदाता सूची बनाने के लिए राज्य चुनाव आयोग ने कलेक्टरों को जो आदेश दिए थे, वे स्थगित कर दिए गए हैं। शिवराज सरकार ने पिछले कार्यकाल में विभिन्न पंचायतों को मिलाकर 22 नगर परिषद बनाई थीं। कांग्रेस सरकार ने आते ही राजनीतिक दृष्टिकोण से इस फैसले को निरस्त कर दिया था। वहीं, नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली में भी बदलाव करके महापौर और नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव पार्षद के माध्यम से करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया था। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इसका विरोध किया था। पुन: सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अधिनियम में फिर से संशोधन करके पुरानी व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए हैं। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन प्रस्तावित है। हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय सरकार लेगी। वार्ड आरक्षण अंतिम चरण में वहीं, नगरीय निकाय चुनाव को लेकर परिसीमन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। अधिकांश निकायों के परिसीमन को सत्ता में परिवर्तन के बाद निरस्त किया जा चुका है। भोपाल नगर निगम के दो हिस्से करने सहित अन्य निकायों के परिसीमन के प्रस्ताव राजभवन से वापस बुलाए जा चुके हैं।
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