दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर दोपहर 2 बजे सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। ताहिर को ओवैसी की पार्टी AIMIM ने मुस्तफाबाद से कैंडिडेट बनाया है। ताहिर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि चुनाव में 4 दिन बचे हैं, उसे चुनाव प्रचार के लिए जल्द अंतरिम जमानत दी जाय।
सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन के वकील से पूछा कि इसके अलावे और कितने मामले है जिसमें जमानत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि दो मामलों में जमानत के लिए निचली अदालत में उसकी अर्जी लंबित है। अगर कोर्ट अंतरिम जमानत देता है तो वे घर नहीं जाएगा, होटल में रुकेगा।
इस पर दिल्ली पुलिस की ओर से ASG एसवी राजू ने जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा- उस पर IB अधिकारी की हत्या का आरोप है। दिल्ली में दंगा फैलाने का आरोप है। इस दंगे में 56 लोगों की मौत हुई थी। बेंच ने उनसे पूछा कि आप 2 बजे तक बताएं कि जमानत देने पर फोर्स और बाकी चीजों के लिए कितना खर्च आएगा।
हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को कस्टडी पैरोल दी, जमानत से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने 14 जनवरी को मुस्तफाबाद सीट से नामांकन भरने के लिए ताहिर को कस्टडी पैरोल दी थी और चुनाव प्रचार के लिए जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिस पर जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही है।
ताहिर हुसैन दिल्ली दंगों के आरोप में 4 साल 9 महीने से जेल में बंद हैं। 22 जनवरी को ताहिर की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच में सहमति नहीं बन पाई थी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ताहिर को जमानत देने के पक्ष में थे, जबकि जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस मित्तल ने कहा था- जमानत देने से भानुमति का पिटारा खुल जाएगा जस्टिस मित्तल ने कहा था कि अगर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत दी तो इससे भानुमती का पिटारा खुल जाएगा। पूरे साल चुनाव होते हैं। हर कैदी दलील लेकर आएगा कि उसे चुनाव लड़ने के लिए जमानत दी जाए। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा था कि आरोपी मार्च 2020 से जेल में है। उसे प्रचार के लिए जमानत देनी चाहिए।
दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कोर्ट में कहा था कि ताहिर UAPA और मनी लॉन्ड्रिंग में भी आरोपी है। इस मामले में जमानत मिलने के बाद भी उसे जेल में ही रहना होगा, क्योंकि UAPA केस में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं मिलती है।
सुप्रीम कोर्ट- जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगे
इस मामले में 20 जनवरी को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेल में बंद सभी लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। ताहिर की ओर से पेश एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने 21 जनवरी को कोर्ट से सुनवाई का अनुरोध किया था।