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दमोह उपचुनाव: आंकड़ों के आईने में मजबूत है जयंत मलैया की पकड़

Updated on 19-03-2021 12:22 PM
17 अप्रैल को दमोह विधानसभा क्षेत्र में होने जा रहे उपचुनाव को देखते हुए यदि 1990 से आज तक का चुनावी रिकॉर्ड देखा जाए तो इस क्षेत्र में भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया की स्थिति मजबूत है।1990 से 2018 तक  सात विधानसभा चुनाव हुए हैं और उनमें से लगातार छह चुनावों में जयंत मलैया ने जीत दर्ज की है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी ने मलैया को 758 मतों के अंतर से पराजित किया था। अब लोधी भाजपा से अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं तो ऐसे में जयंत मलैया की क्या भूमिका होगी इस पर सभी की नजर टिकी हुई है। जयंत मलैया ने यह कहते हुए कि भाजपा के संभावित उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी की मुश्किल बढ़ाने  के संकेत दिए हैं कि कांग्रेस उनसे संपर्क कर रही है ,परंतु वह अभी भाजपा में है। लेकिन आगे उनका क्या रुख होगा उसके बारे में एक सप्ताह बाद बात करेंगे। इससे एक और जहां भाजपा नेतृत्व का अब सतर्क हो जाना स्वाभाविक है तो वहीं दूसरी ओर इस घटनाक्रम से लोधी की चिंता और परेशानियां भी कुछ ना कुछ जरूर बढ़ेंगी ही। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद कल बुधवार को जयंत मलैया भोपाल में काफी सक्रिय नजर आए इससे कुछ दिन पूर्व दिल्ली में उन्होंने कुछ नेताओं से मुलाकात की थी। इस घटनाक्रम से कम से कम एक सप्ताह तक लोधी के दिल की धड़कनें जरूर बढ़ी रहेंगी। 
प्रदेश कांग्रेस भी एक्शन मोड में आ गई है और उसने दमोह में प्रत्याशी चयन के लिए पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह सिसोदिया और खरगोन के कांग्रेस विधायक रवि जोशी की समिति बनाई है। यह समिति दमोह में जाकर स्थानीय कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा करेगी। इस प्रकार प्रत्याशी चयन का प्रारंभिक कार्य यह समिति करेगी। उसके बाद यह समिति अपनी सिफारिशें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को देगी। पिछले 28 उपचुनाव में सर्वे के आधार पर तय किए गए अधिकांश उम्मीदवारों के चुनाव हार जाने के बाद इस बार अब स्थानीय लोगों की राय को  महत्व दिया जा रहा है। दावेदारों की सूची में जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजय टंडन तथा वीरेंद्र दवे के साथ ही मनु मिश्रा और मानक पटेल के नाम की भी चर्चा है। वैसे कांग्रेस की नजर भाजपा के विद्रोहियों पर भी है क्योंकि 28  उपचुनाव में भाजपा सहित कुछ दूसरे दलों से आयातित कर जिन नेताओं को चुनावी मैदान में कांग्रेस द्वारा उतारा गया था उन्हें अपेक्षाकृत अच्छी सफलता मिली और यही कारण है कि कांग्रेस  9 सीटें जीत सकी। कांग्रेस ने जबलपुर के बरगी से कांग्रेस विधायक संजय यादव तथा पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी को पर्यवेक्षक बनाया है ।
1990 से लेकर 2018 तक का चुनाव भी रिकॉर्ड
दमोह विधानसभा क्षेत्र में 1990 का चुनाव भाजपा के जयंत मलैया ने कांग्रेस के अनिल कुमार प्रभु नारायण टंडन को 26836 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था। उस समय प्रदेश में कांग्रेस विरोधी और भाजपा के पक्ष में लहर चल रही थी। भाजपा से तालमेल होने के कारण विश्वनाथ प्रताप सिंह के जनता दल को भी विधानसभा चुनाव में तुलनात्मक रूप से अच्छी सीटें मिली थीं। इस चुनाव में जयंत मलैया को 41414 तथा कांग्रेस के टंडन को 14578 वोट मिले थे जबकि बसपा के प्रताप नारायण राजा भैया को 5671 वोट मिले। सुंदरलाल पटवा की पहली भाजपा सरकार में जयंत मलैया को आवास एवं पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण विभाग का स्वतंत्र प्रभार का राज्य मंत्री बनाया गया। 1993 में राजनीतिक परिदृश्य फिर से बदला तथा प्रदेश में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी और उस चुनाव में जयंत मलैया भाजपा ने कांग्रेस के वीरेंद्र दवे को 6665 मतों से हराया। इस चुनाव में मलैया को 43846 तथा कांग्रेस के दवे को 37181 तथा बसपा के अब्दुल हफीज को 4815 मत मिले। 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के जयंत मलैया ने कांग्रेस के अजय भैया टंडन को 5406 मतों के अंतर से पराजित किया। इसमें भाजपा के मलैया को 45851, कांग्रेस के टंडन को 40485 और बसपा के अमरजीत सरदार को 3672 मत मिले थे ।
2003 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर राजनीतिक परिदृश्य ने करवट ली और उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा को अच्छी-खासी सफलता मिली और भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनी। उस चुनाव में भाजपा के जयंत मलैया ने कांग्रेस के अजय टंडन को 12321 वोटों से चुनाव हरा दिया। इस चुनाव में मलैया को 55707 तथा कांग्रेस के टंडन को 45386 और बसपा के सुखनंदन पटेल को 8772 वोट मिले। 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के जयंत मलैया की चुनावी नैया हिचकोले खाते हुए पार लगी। उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रभान भैया ने कड़ी टक्कर दी और मलैया केवल 130 मतों से ही चुनाव जीत सके। मलैया को 50481 और कांग्रेस के चंद्रभान को 50351 मत प्राप्त हुए, जबकि बसपा के आर सी पटेल को 8471 मत मिले। दमोह के चुनाव इतिहास में 1990 से मलैया की यह सबसे छोटी जीत थी। 2013 का विधानसभा चुनाव भाजपा के जयंत मलैया ने कांग्रेस के चंद्रभान भैया को 4953 मतों से पराजित किया। इस चुनाव में भाजपा के मलैया को 72534  तथा कांग्रेस के चंद्रभान को 67581 वोट मिले। बीएससीपी के आरबी सिंह लोधी को 2544 तथा बसपा के बसंत कुशवाहा को 1903 वोट मिले। 2018 का एकमात्र ऐसा विधानसभा चुनाव था जिसमें 1990 से पहली बार कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी ने भाजपा के जयंत मलैया को 758 मतों के अंतर के अंतर से पराजित कर दिया। इस चुनाव में कांग्रेस के लोधी को 78997 तथा भाजपा के मलैया को 78199 और बसपा के कोमल सिंह अहिरवार को 5407 मत प्राप्त हुए।
और अंत में.............
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ 25 मार्च को दमोह जाने वाले हैं। दमोह में चुनाव की घोषणा के बाद कमलनाथ का यह पहला चुनावी प्रवास है। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से वह जमीनी हकीकत जानने की कोशिश करेंगे ताकि उसके बाद प्रभावी रणनीति बनाई जा सके । कमलनाथ की कोशिश है कि हर हाल में इस सीट पर कांग्रेस अपना कब्जा बरकरार रखे और इस दृष्टि से उनकी दमोह यात्रा कांग्रेसी गलियारों में काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
अरुण पटेल, लेखक                                                                 ये लेखक के अपने विचार है I 
प्रबंध संपादक, सुबह सवेर  
कार्यकारी संपादक अमृत संदेश

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