-भारत से भी आनलाइन धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे कुछ अपराधी
-डब्ल्युएचओ के नाम से ई-मेल तैयार कर फंसा रहा है लोगों को
नई दिल्ली। कोरोना संकट के दौरान अधिकतर लोगों के घरों में रहने के कारण जहां सामान्य चोरों की दाल नहीं गल रही है वहीं इस दौर में हाईटेक चोर यानी साइबर अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। साइबर अपराधी कोरोना की वजह विश्व भर में फैली हुई चिंता का फायदा ऑनलाइन धोखाधड़ी कर उठा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ही बहुत सारे देशों को धन की आवश्यकता है, जिसका फायदा उठाकर ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले लोगों को सीधे ई-मेल भेजकर उन्हें अपने जाल में फंसा रहे हैं। इन अपराधियों में कुछ तो भारत से आपरेट कर रहे हैं। ये हैकर्स डब्ल्युएचओ के नाम से ई-मेल तैयार करके उन्हें अमेरिका, कैनेडा, भारत, बहरीन, सायप्रस और इंग्लैंड की वित्तीय संस्थाओं और स्वास्थ्य संस्थाओं को फंसाने के लिए ई-मेल भेजते हैं।
अमेरिका में साल 2018 मे अमेरिकी नागरिकों ने 427.71 अरब डॉलर समाजसेवा के लिए दान किये थे। ऑनलाइन चोर उनकी दान देने की इसी भावना का लाभ उठाने की फिराक में हैं। इसलिए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेरिकी फेडरल और रिजर्व बैंक ने भी लोगों को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने की सलाह दी है। एक खबर के मुताबिक नॉटर्न संस्था ने लोगों से पैसे देने के पहले मदद मांगने वाली संस्था उसे देश या राज्य में पंजीकृत है या नहीं इसकी पड़ताल करने की सलाह दी है। गूगल ने अपने यूजर्स को सावधान करते हुए 1755 वार्निंग भेजे हैं।
लोगों को भेजे जाते हैं फिशिंग मेल:
माइक्रोसॉफ्ट ने लोगों को सावधान करते हुए कहा है कि कोविड-19 शब्द का उपयोग करके लोगों को फिशिंग मेल भेजे जाते हैं। इस मेल में नेट्सपोर्ट मैनेजर नामक सिस्टम को डाउनलोड करने को कहा जाता है, जिसके डाउनलोड होते ही आपके कंप्यूटर चोरों को एक्सेस हो जाते हैं और ऑनलाइन चोर इस दौरान आपकी जारी जानकारी चुरा लेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इस प्रकार की चोरी का खतरा बहुत ज्यादा है।
अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय का शुक्रवार काे निधन हो गया। वे 69 साल के थे। एम्स दिल्ली की ओर से जारी बयान…
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को जम्मू-कश्मीर के गांदरबल अटैक केस में अहम जानकारियां मिली हैं। NIA ने मंगलवार को बताया कि इस हमले के लिए आतंकवादियों को लोकल सपोर्ट मिला…