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आधुनिकता के साथ बढ़ते “CYBER CRIME”

Updated on 04-04-2021 07:39 PM

आधुनिक युग ने जहाँ एक ओर प्रगति की है, वहीं इस्से जुड़े दुश प्रभाव भी देखने में आए हैं | साइबर अपराध एक प्रकार का कम्प्यूटर द्वारा कारित अपराध है, जिसमें (हैकिंग, पिशिंग, स्पैमिंग) शामिल हैं | हम कह सकते हैं साइबर अपराध में कम्प्यूटर एक औज़ार की तरह इस्तेमाल मे लाया जाता है और जो व्यक्ति यह अपराध जैसे कि इनफार्मेशन की चोरी,आइडेंटिटी थेफ्ट, आनलाइन बोर्ड, चाइल्ड पौर्नगा्फी,हेट क्राइम इत्यादि उसे हम साइब रक्रिमिनल कहते हैं| यह साइबर अपराधी कम्प्यूटर और इन्टरनेट टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आपकी निजी जानकारी, व्यापार और बैंक से संबंधित आपकी जानकारी चुराकर अपने गलत इरादों को अंजाम देते हैं | इसके बडे़ रूप को हम साइबर टैररिस्म कहते हैं |

साइबर अपराध के प्रकार

1. हैकिंग ...

हैकिंग करने वाले व्यक्ति को हैकर(hacker) या क्रेकर (cracker) कहते हैं और यह अक्सर प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसकर आपकी व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी का उपयोग करते हैं | यह प्रतिबंधित क्षेत्र आपका कम्प्यूटर हो सकता है या कोई आनलाइन अकाउंट जैसे आपका बैंक अकाउंट या कोई सोशल पलैटफो्र्म (Facebook, Instagram, twitter), आदि हैं जहाँ हैकिंग आम है |हैकिंग द्वारा हैकर बिना अनुमति के कई प्रकार के साफटवेयर का इस्तेमाल कर किसी के भी कम्प्यूटर मे घुस सकते हैं और जानकारी हासिल कर उसे इस्तेमाल में लाते हैं |

2. साइबर स्टाकिंग...

साइबर स्टाकिंग के शिकार अधिकतर कम उम्र के बच्चे या नौजवान होते हैं, इसमें शिकार को आनलाइन प्रताड़ित(online harrass) किया जाता है किसी स्टाकर (stalker)  के द्वारा | यह प्राय: सोशल मीडिया मे देखने में आता है, इस अपराध को आनलाइन मैसेज और ई-मेल द्वारा अंजाम दिया जाता है |

3. आईडेन्टिडी थैफ्ट ....

यह अपराध आज-कल बहुतायत मे देखने में आता है, यहाँ अपराधी वयक्ति आपके नगदी आहरण और बैंक सर्विस मे किसी भी आम वयक्ति की जानकारी जैसे बैंक अकाउंट, क्रैडिट कार्ड की जानकारी, इन्टरनेट बैंकिंग, निजी जानकारी, डैबिट कार्ड इत्यादि चोरी कर अपराध को अंजाम देते हैं, इसमें शामिल अपराध है जैसे आनलाइन खरिददारी या आपके अकाउंट से पैसा निकाल लेना, जिस्से की पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता सकता है |

4. करप्ट या मैलिशियस साफटवेयर (corrupt or malicious software).....

यह एक प्रकार का इन्टरनेट पर आधारित कर्रप्ट साफटवेयर होता है जो एक बार किसी भी नैटवर्क मे अगर इन्सटाल कर दिया जाए तो हैकर बड़ी आसानी से उस नैटवर्क की सारी जानकारी है हैक, कर इस्तेमाल कर सकता है |

5. चाइल्ड पौर्नगा्फी और अब्युज़(child pornography and abuse) ....

इस तरह के अपराध ज्यादातर अपराधी चैट रूम्स का इस्तेमाल करते हैं, और कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं, अपनी पहचान को छुपाकर कम उम्र के बच्चे जो ना समझ होते हैं उन्हें अपनी बातों मे लगाकर फिर उन्हें परेशान करते हैं, अशलील हरकतें करना और ब्लैकमेल करने का काम करते हैं, इस दिशा मे सभी देशों की सरकारें प्रयासरत है | IT act 2005 कीधारा 67( बी), IPC की धारा 292,293,294,500,506,509 मे सज़ा के प्रावधान हैं |

हालांकि साइबर अपराध से जुड़े कानून प्रगतिशील हैं किन्तु साइबर अपराधी तक पहुँच पाना बहुत कठिन कार्य है क्योंकि अपराधी की पहचान छुपी हुई होती है | साइबर अपराध तीन वर्ग में बटे हैं जैसे की...

1.  व्यक्तिगत,  2. संपत्ति,  3.  सरकार

व्यक्तिगत और संपत्ति जहाँ साइबर अपराध श्रेणी में आते हैं वहीं सरकार के विरुद्ध किये गए अपराध साइबर आतंकवाद कहलाता है क्योंकि तब इसका स्तर बहुत बडी़ हानिकारित कर सकता है यहाँ पर किसी देश की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करनेकी क्षमता होती है |

साइबर अपराध रोकने मे पुलिस की भूमिका 

साइबर अपराध से बचाव और निपटने के लिए भारत में “ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2005” (information technology act 2005) 17 ऑक्टूबर 2005  से प्रवृत है, जिसके तहत सजा़ के प्रावधान है | साइबर अपराध को रोकने हेतु पुलिस द्वारा साइबर सेल का गठन किया गया जहाँ आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, साइबर अपराध एक virtual(dummy) world crime है और real world में इसे रोक पाना आसान नहीं है, मूलतः देखा जाए तो साइबर अपराध गठित होने से व्यक्ति खुद को सुरक्षित रख सकता है यदि कुछ जागरूक तरीके से आप इन्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं | हमारी सर्तकता और जागरुकता काफी हद तक इस साइबर अपराध को कम करने मे असरदार हो सकती है I पुलिस द्वारा cyber crime complaint portal बनाये गये हैं जहाँ पर आप अपनी शिकायत आनलाइन रजिस्टर कर सकते हैं या आपलिखित परिवाद भी कर सकतें है I 

अपने शहर के साइबर अपराध शाखा में, कुछ साइबर अपराध IPC के तहत संज्ञेय और दंडनीय होने के कारण आप इसकी FIR किसी भी क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन मे दर्ज करा सकते हैं, अगर पुलिस स्टेशन मे आपकी कम्पलेंट स्वीकार नहीं किया जाता है तो आप सीधा साइबर अपराधक मिशनर या न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी तलब करसकतेहैं | साइबर अपराध जो, IPC में संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है आप इस अपराध की ZERO FIR भी थाने में करवा सकते हैं, पुलिस अधिकारी बाध्य है आपकी रिपोर्ट लिखने के लिए CRPC कीधारा 154 के तहत यह आवशयक है की किसी भी अपराध के होने पर पुलिस पीड़ित की शिकायत को दर्ज करेगा, चाहे वह किसी भी प्रकार का अपराध क्यों नहो, आपकी शिकायत दर्ज करने से पुलिस अधिकारी मना नही कर सकता |

सूचना प्रौद्योगि की अधिनियम 2005 (information technology act 2005)

IT ACT 2000  के प्रावधानों के साथ-साथ IPC के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर अपराधों से निबटने के लिए पर्याप्त हैं | IT ACT 2005  की मुख्य धाराएं  जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है वह है :-

धारा 43 - कम्प्यूटर, कम्प्यूटर प्रणाली आदि को नुकसान के लिए शास्ती और प्रतिकर के प्रावधान है 

धारा 43A -  डाटा को संरक्षित रखने मे असफलता के लिए प्रतिकर |

धारा 66 - कम्प्यूटर से संबंधित अपराधों और सजा़ के प्रावधानों के बारे में बताती है |

धारा 66B - चुराए गए कम्प्यूटर संसाधन या संचार युक्ति को बेइमानी से प्राप्त करने के लिए दंड |

धारा 66C  - पहचान चोरी (identity theft) के लिए दंड I

धारा 66D - कम्प्यूटर संसाधन का उपयोग करके प्रतिरूपण द्वारा छल करने के लिए दंड I

धारा 66E - एकांतता के अतिक्रमण के लिए दंड I

धारा 66F - साइबर आतंकवाद के लिए दंड I

धारा 67 - अशलील सामग्री का इलैक्ट्रॉनिक रूप मे प्रकाशन या परेशान करने के लिए दंड I

धारा 67A - कामुकता व्यक्त करने वाले कार्य आदि वाली सामग्री को इलैक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशन के लिए दंड I

धारा 67B - कामुकता व्यक्त करने वाले कार्य आदि में बालकों को चित्रित करने वाली सामग्री को इलैक्ट्रॉनिक रूपमे प्रकाशित या परेषित करने के लिए दंड I

धारा 70 -  संरक्षित प्रणाली I

धारा 72  -  गोपनियता और एकांतता भंग करने के लिए शास्ती I

धारा 72A - विधि पूर्ण संविदा को भंग करते हुए सूचना के प्रकटन के लिए दंड I

धारा 73 -  फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर का प्रकाशन I

धारा 74 - कपटपूर्ण प्रयोजन के लिए प्रकाशन I

धारा 78 - इंस्पेक्टर स्तर के पुलिस अधिकारी को इन मामलों में जांच का अधिकार हासिल है |

IPC भारतीय दंड संहिता में साइबर अपराधों से संबंधित कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:-

धारा 506 - ई-मेल के माध्यम से धमकी भरे संदेश भेजना I

धारा499 -  ई-मेल के माध्यम से ऐसे संदेश भेजना जिससे मानहानि होती है I

धारा463 -  फर्जी इलैक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का इस्तेमाल I

धारा 420 - फर्जी वैबसाइट या साइबर फ्रॉड I

धारा 383 - वैबजैकिंग I

धारा 500 - ई-मेल का गलत इस्तेमाल I

अधिवक्ता एवं लेखिका, जूहीरघुवंशी                                      ये लेखिका के अपने विचार है I 

Mob:-9826610018 




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